नक्सली हमले का बिहार कनेक्शन खंगाल रही एनआइए

भागलपुर : एनआइए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने बिहार पुलिस से राज्य में नक्सलियों का पूरा ब्योरा मांगा है. 25 मई 2013 में छत्तीसगढ़ के दरभा घाटी में नेताओं और सुरक्षाकर्मियों पर नक्सलियों के भीषण हमले की जांच को लेकर एनआइए ने बिहार पुलिस से नक्सलियों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी हैं. इस हमले में वरिष्ठ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 1, 2017 2:45 AM

भागलपुर : एनआइए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने बिहार पुलिस से राज्य में नक्सलियों का पूरा ब्योरा मांगा है. 25 मई 2013 में छत्तीसगढ़ के दरभा घाटी में नेताओं और सुरक्षाकर्मियों पर नक्सलियों के भीषण हमले की जांच को लेकर एनआइए ने बिहार पुलिस से नक्सलियों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी हैं.

इस हमले में वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल को गोली लगी थी, बाद में उनकी मौत हो गयी थी. एनआइए को इस घटना की जांच का जिम्मा मिला और एनआइए ने ही इसमें केस दर्ज किया. एनआइए ने इस मामले की जांच के लिए बिहार राज्य में सक्रिय और गिरफ्तार हो चुके नक्सलियों का डिटेल मांगा है.

लखनऊ स्थित एनआइए की शाखा से आये पत्र में बिहार में नस्कली कैडर स्ट्रक्चर का डिटेल के साथ ही नक्सली गतिविधियों में संलिप्त लोगों के फोटोग्राफ की मांग भी की गयी है. सक्रिय नक्सलियों के साथ ही गिरफ्तार किये जा चुके नक्सलियों के फोटाे, डोजियर और उनके वीडियो की भी मांग की गयी है. पिछले दिनों पकड़े गये नक्सली ने स्वीकार किया था कि वह भागलपुर में काफी दिनाें तक रहा है.

क्या हुआ था दरभा घाटी में. 25 मई 2013 शनिवार दोपहर के 3:00 बजे छत्तीसगढ़ के सुकमा में विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस की परिवर्तन रैली चल रही थी. प्रदेश के सभी बड़े कांग्रेसी नेता रैली में मौजूद थे. वहां से सभी लोग 20 गाड़ियों के काफ़िले में सुकमा से निकले. नक्सलियों ने इस तरह के कार्यक्रम नहीं करने की धमकी दी थी.
लेकिन कांग्रेस ने सुकमा में रैली की और रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस के सभी नेता और उनके समर्थक वहां से जगदलपुर के लिए निकले.शाम करीब 4:15 बजे प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की अगुआई में 20 गाड़ियों का काफिला सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित दरभा घाटी में जंगल में पहुंचा. काफ़िले में नंदकुमार पटेल की गाड़ी के आगे दो एस्कॉर्ट गाड़ियां चल रही थी. वे इस बात से अनजान की आगे सड़क पर मौत का पूरा जाल बिछा हुआ है. दरअसल नक्सलियों ने रास्त में एक पेड़ गिरा कर उस पूरे जगह लैंड माइन बिछा रखी थी
और पूरे इलाके को घेरकर कर उसमें छिप कर उनका इंतज़ार कर रहे हैं. तभी काफ़िले में सबसे आगे चल रही गाड़ियां जैसे ही नक्सलियों के गिराये पेड़ तक पहुंची तो काफ़िले की रफ्तार थम गई. गाड़ियों के रुकते ही नक्सलियों ने माइंस उड़ा दीं और उसके बाद एक ज़ोर का ब्लास्ट हुआ और दोनों गाड़ियां धमाके में उड़ गयी. अभी कोई कुछ समझता कि जंगल में छिपे नक्सलियों ने दोनों तरफ से फायरिंग शुरू कर दी. नक्सलियों की गोलीबारी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल भी घायल हुए, बाद में उनकी मौत हो गयी.
25 मई 2013 में छत्तीसगढ़ के दरभा घाटी में हुए नक्सली हमले में कई बड़े नेता मारे गये थे
उस मामले की जांच एनआइए को सौंपी गयी, उस मामले की आगे की जांच के लिए मांगे गये हैं डिटेल
लखनऊ स्थित एनआइए की शाखा से पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा गया
भागलपुर में भी पैर पसार रहे माओवादी
बिहार के कई जिले नक्सल प्रभावित हैं. भागलपुर जोन की बात करें तो यहां जमुई, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा और बांका नक्सल प्रभावित जिले हैं. पिछले कुछ समय में भागलपुर में भी माओवादियों के पैर पसारने की बात सामने आयी है. इसी साल पांच जनवरी काे जमुई में पकड़े गये भाकपा माओवादी प्रतिबंधित संगठन के प्रांतीय सचिव सह भागलपुर जोन के जोनल सचिव प्रह्लाद वर्णवाल ने पुलिस की पूछताछ में खुलासा किया था कि वह भागलपुर में सुलतानगंज और शाहकुंड के साथ ही बांका स्थित लॉज में लंबे समय तक न सिर्फ रहा है बल्कि नक्सली साहित्य को प्रिंट भी करवाया.

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