कलस्टर में बुनकर ट्रेनिंग के साथ ही पैसा देकर काम का भी ले सकेंगे
भागलपुर : बुनकरों के लिए यह अच्छी खबर. भागलपुर में देश का दूसरा मेगा कलस्टर खुलने जा रहा है. विश्व बैंक ने मेगा कलस्टर के लिए देश के दो शहर लुधियाना व भागलपुर का चयन किया है, जहां पांच एकड़ में केंद्र बनेगा. केंद्र में आधुनिक मशीन से बुनकरों को ट्रेनिंग मिलेगी. वह आधुनिक तकनीक […]
भागलपुर : बुनकरों के लिए यह अच्छी खबर. भागलपुर में देश का दूसरा मेगा कलस्टर खुलने जा रहा है. विश्व बैंक ने मेगा कलस्टर के लिए देश के दो शहर लुधियाना व भागलपुर का चयन किया है, जहां पांच एकड़ में केंद्र बनेगा. केंद्र में आधुनिक मशीन से बुनकरों को ट्रेनिंग मिलेगी. वह आधुनिक तकनीक से कपड़ा तैयार करने से लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर का डिजाइन व पैकेजिंग के गुर सिखेंगे.
यहां बुनकर शुल्क देकर अपने काम भी करवा सकेंगे. इस मेगा कलस्टर बनाने के सिलसिले में प्रमंडलीय आयुक्त अजय कुमार चौधरी से मंगलवार को अंतराष्ट्रीय टेक्सटाइल कंसलटेंट मनीष त्यागी व एक्सेस डेवलपमेंट सर्विसेज के एसोसिएशन वाइस प्रेसीडेंट मोहित कुमार मिलने आये थे. उन्होंने कलस्टर के लिए जमीन देने पर चर्चा की.
प्रमंडलीय आयुक्त ने बताया कि केंद्र सरकार नाथनगर में कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर (सीएफसी) खोल रहा है, जहां बुनकर को आधुनिक मशीन से ट्रेनिंग मिलेगी. विश्व बैंक के सहयोग से बनने वाला मेगा कलस्टर सीएफसी केंद्र बड़ा व आधुनिक होगा. विश्व बैंक से प्रोजेक्ट को लेकर 32 सप्ताह का समय दिया गया, इसमें तीन महीने बीत गये, अब शेष पांच महीने में जमीन चयन व प्रोजेक्ट तैयार कर काम करना है. संभवत: जुलाई तक जमीन को चिह्नित कर लेना है. उन्होंने कहा कि अगर जमीन मिल जाती है तो अगले एक वर्ष में मेगा कलस्टर का केंद्र तैयार हो जायेगा. उन्होंने मेगा कलस्टर की जमीन को लेकर डीएम को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया. बुनकर क्षेत्र के नजदीक जमीन चिह्नित करने के लिए कहा है, ताकि वहां पर केंद्र बनने से बुनकर को आसानी हो.
जमीन मिलना चुनौती
विश्व बैंक से बननेवाले मेगा कलस्टर में जमीन का मिलना चुनौती है. नाथनगर क्षेत्र में बुनकर रहते हैं, और वहां पर सरकारी जमीन का अभाव है. विश्व बैंक के प्रोजेक्ट में सरकारी जमीन का ही प्रयोग हो सकता है. निजी स्तर पर जमीन खरीदने का प्रावधान मान्य नहीं होगा. जिले में कई अहम प्रोजेक्ट विक्रमशिला विश्वविद्यालय, इंटेलीजेंस ब्यूरो का क्षेत्रीय कार्यालय, महिला बाल विकास का महिला सशक्तीकरण भवन आदि जमीन के अभाव में फंसा है.