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रोगी को टेंपररी पेसमेकर लगना शुरू हुआ
भागलपुर: भागलपुरवासियोंही नहीं, बल्कि पूर्वी बिहार के लोगों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में नयी सुविधा जेएलएनएमसीएच में मिलेगी. पहली बार मायागंज स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हॉर्ट ब्लॉक मरीज को अस्थायी पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया गया. सुलतानगंज के समीप सावनपुर के 95वर्षीय उचित नारायण सिंह की पेसमेकर लगा कर जान बचायी गयी. पेसमेकर लगानेवाली […]
भागलपुर: भागलपुरवासियोंही नहीं, बल्कि पूर्वी बिहार के लोगों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में नयी सुविधा जेएलएनएमसीएच में मिलेगी. पहली बार मायागंज स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हॉर्ट ब्लॉक मरीज को अस्थायी पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया गया. सुलतानगंज के समीप सावनपुर के 95वर्षीय उचित नारायण सिंह की पेसमेकर लगा कर जान बचायी गयी.
पेसमेकर लगानेवाली डॉक्टरों की टीम में आइसीयू प्रभारी सह एनेस्थिसिया के विभागाध्यक्ष डॉ महेश कुमार, डॉ रोहित कुमार व वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे. मरीज के उपचार में आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह, मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल आदि चिकित्सक लगे हुए थे.
परीक्षण से पहले मरीज डॉ डीपी सिंह के यूनिट में भरती किया गया था. यहां पर उनके हृदय की गति का परीक्षण किया गया, तो प्रति मिनट 20 बार ही हृदय धड़क रहा था, जबकि एक सामान्य रोगी का हृदय 72 बार धड़कना चाहिए. डॉ डीपी सिंह ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की हृदय धड़कन 60 से 100 के बीच होगी, तो कोई दिक्कत नहीं है. 50 से नीचे जाने पर बेहोशी आ जाती है. मस्तिष्क में रक्त संचार घट जाता है और अकाल मृत्यु हो सकती है. ऐसे में मायागंज में अस्थायी पेसमेकर के जरिये इलाज करना मरीजों के लिए बड़ी सुविधा है.
सरकार की ओर से स्थायी पेसमेकर की व्यवस्था मायागंज अस्पताल में होनी चाहिए. इधर डॉ महेश कुमार ने बताया कि उचित नारायण सिंह अस्थायी पेसमेकर से तीन-चार दिन तक ही सामान्य रह सकेंगे. उन्हें स्थायी पेसमेकर लगवाना होगा. इसकी व्यवस्था मायागंज अस्पताल में नहीं है. उन्हें बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर किया जायेगा. स्थायी पेसमेकर लगाने में डेढ़ से दो लाख रुपये तक का खर्च आता है.
पहली बार अस्थायी पेसमेकर लगा कर रोगी का सफल इलाज करना मायागंज अस्पताल के लिए बड़ी उपलब्धि है. डॉ डीपी सिंह के यूनिट में भरती मरीज की हालत चिंताजनक थी. तब अस्थायी पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया गया. यह प्रयास सफल हुआ और मरीज की जान बचायी जा सकी.
डॉ आरसी मंडल, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच
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