भ्रमण. पुरावशेष व म्यूजियम में बिताये 38 मिनट, म्यूजियम के विजिटर रजिस्टर पर लिखा
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महामहिम पधारे अंग क्षेत्र विक्रमशिला जल्द प्राप्त करे अपना गौरव
भ्रमण. पुरावशेष व म्यूजियम में बिताये 38 मिनट, म्यूजियम के विजिटर रजिस्टर पर लिखा कहलगांव : राष्ट्रपति ने विक्रमशिला के पुरावशेषों तथा म्यूजियम में लगभग 38 मिनट बिताये. इस दौरान आर्कियोलाॅजिकल सर्वे आॅफ इंडिया के पटना अंचल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ डीएन सिन्हा व नवरत्न पाठक ने उन्हें विक्रमशिला से जुड़े तथ्यों के बारे में […]
कहलगांव : राष्ट्रपति ने विक्रमशिला के पुरावशेषों तथा म्यूजियम में लगभग 38 मिनट बिताये. इस दौरान आर्कियोलाॅजिकल सर्वे आॅफ इंडिया के पटना अंचल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ डीएन सिन्हा व नवरत्न पाठक ने उन्हें विक्रमशिला से जुड़े तथ्यों के बारे में विस्तार से बताया. राष्ट्रपति तिब्बती धर्मशाला, छात्रवास, मनौती स्तूप एवं मुख्य स्तूप देखने भी गये. दोनों पुरातत्वविदों ने बताया कि राष्ट्रपति पूर्व से ही विक्रमशिला के बारे में बारीक जानकारी रखते है
, फिर भी उन्हें साइट के बारे में पूरी जानकारी दी गयी. उन्होंने विक्रमशिला की कला, स्थापत्य, धर्म के उद्गम व विकास के बारे में जानकारी ली. इसके अलावा महायान, तंत्रयान एवं तिब्बत में लामावाद के उद्गम व विकास के संबंध में पूछा. प्राचीन भारत के तत्कालीन विश्वविद्यालयों नालंदा और सोमपुर महाविहार से विक्रमशिला की तुलना के बारे में भी उन्होंने पूछा. पाल नरेश के बारे में भी जानकारी ली.
म्यूजियम में राष्ट्रपति ने बुद्ध के जीवन की सात घटनाओं पर आधारित मूर्ति के बारे में विस्तार से पूछा. संग्रहालय में स्थित सिंह के एक मुख और दो शरीर और मूर्तियों पर उकेरी गयी कलाकृति के बारे में भी उन्होंने दोनों पुरातत्वविदों से जानकारी ली.
राष्ट्रपति को भेंट किया मोमेंटो : राष्ट्रपति के म्यूजियम पहुंचने पर अधीक्षण पुरातत्वविद ने उन्हें मोमेंटो और विक्रमशिला के मुख्य स्तूप की तसवीर भेंट की.
पैदल ही मुख्य स्तूप की ओर गये : मुख्य स्तूप दर्शन के लिए राष्ट्रपति के लिए बनाये गये कॉटेज की आवश्यकता ही नहीं पड़ी. राष्ट्रपति के लिए कम ऊंचाई की सीढ़ीयों के लिए रैंप बनाये गये थे और बैटरी चालित कार की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन, रैंप से उतरने के बाद राष्ट्रपति पैदल ही मुख्य स्तूप की ओर बढ़ गये और स्तूप की सीढ़ियां चढ़ते हुए प्रथम टेरिस तक पहुंच गये. वह और भी ऊपर चढ़ना चाहते थे, पर स्वास्थ्य के लिहाज से उनसे और अधिक सीढ़ियां नहीं चढ़ने का आग्रह किया गया. इसके बाद वह रुक गये.
सभा स्थल के बाहर भागवत गीता का प्रचार : सभा स्थल के बाहर पीरपैंती के सुंदरपुर के नवनिर्मित मीनाक्षी मंदिर के पंडित चंदन कुमार, शशिभूषण, रोहित झा, संजय पोद्दार श्रीमद्भगवत गीता यथावत एवं आत्मा का प्रवास नामक पुस्तक को पढ़ने और अनुकरण करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे थे. पंडितों की टोली सभा में आये लोगों को 29 अप्रैल को सुंदररपुर में नवनिर्मित मीनाक्षी मंदिर के उद्घाटन समारोह में आने काे आमंत्रित कर रहे थे.
बच्चों ने कहा, मेला देखै ले अयलो छियै : विक्रमशिला के आसपास के गांवों के बच्चों में मेला देखने जैसा उमंग था. सन्नी, छोटू, रवि बबीता, मनीषा, रजनी आदि ने कहा मेला देखै ले अयलो छिये. एक बच्ची बिंदु ने कहा- भोरे माय न दाल-भात बनाय देलो छेलै. माय-बाबू निकलै, त हमूं पीछू से आय गेलियै. माय बोली रहलो छेलै, घर जोगिहैं बेटा. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के गांव भवानीपुर, सिंगलबैता, दयालपुर, गोघट्टा, अंठावन, तौफिल दियारा गांव के भी छोटे-छोटे बच्चे माता-पिता के घर से निकलते ही पीछे-पीछे समारोह स्थल पर पहुंच गये.
कटनी की, खाना बनाया और तैयार होकर राष्ट्रपति को देखने पहुंचीं महिलाएं : राष्ट्रपति के आगमन को लेकर आसपास के गांवों में उत्सवी माहौल था. लोगों ने ने समय से पहले अपने काम निबटाये और सभास्थल पर पहुंचे. अंतीचक गांव की वीणा देवी ने बताया कि सुबह उठ कर गेहूं की कटनी करने गयी. घर लौट कर झटपट खाना तैयार किया और अपने पति व बच्चों को खिला पिला कर तैयार कर दिया. इसके बाद नहा कर खुद खाना खाया और नये कपड़े पहन कर राष्ट्रपति को देखने गयी. उनके साथ और भी कई महिलाएं थीं. कई महिलाओं ने गोद में छोटे बच्चों को लिये लंबी लाइन में खड़ी होकर अंदर प्रवेश किया. पुरुष भी अपने पहचान कार्ड लेकर समय से पहले ही पहुंच गये थे. लालापुर गांव के सियाराम तांती, मनोज कुमार राजेंद्र तांती आदि पहले ही तैयार होकर सभा स्थल के पहुंच गये थे. पास नहीं बनने के कारण कुछ युवाओं में मायूसी थी. गांव में चर्चा थी कि जिनका कार्ड नहीं बना है, उन्हें सभास्थल में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी.
सबने कहा, दादा सुस्वागतम : सभी राजनीतिक दल के नेताओं, सामाजिक-सांस्कृतिक मंच के सदस्यों, जनप्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का सभा स्थल पर जोरदार स्वागत किया. सबने कहा प्रणव दा विक्रमशिला महाविहार में आपका स्वागत है. वीवीआइपी या वीआइपी पास उपलब्ध नहीं होने के बावजूद सभी राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के लोगों व कई पंचायत प्रतिनिधियों ने सभा स्थल पर पंडाल के अंदर या बाहर राष्ट्रपति के उद्गार सुने. भाजपा नेता बिंदेश्वरी झा, रणवीर सिंह, शिवकुबेर सिंह, मुन्ना सिंह, दिलीप मिश्रा, लोजपा नेता नीरज मंडल, संतोष गुप्ता, जदयू नेता राकेश सिंह, राजेश सिंह, कांग्रेस नेता मो शाहबाज आलम मुन्ना, प्रवीण राणा, जिप सदस्य शर्मिला देवी, उपप्रमुख दिलीप सिंह कुशवाहा, अंतीचक की मुखिया ललिता देवी, ओरियफ के मुखिया त्रिभुवन शेखर झा, एकडारा के मुखिया मो अशफाक आलम, सामाजिक कार्यकर्ता मौसमी राज, पल्लवी शर्मा सहित दर्जनों लोगों ने कहा अहो भाग्य हमारे, महामहिम के कदम यहां पड़े.
विक्रमशिला से जुड़े तथ्यों के बारे में विस्तार से ली जानकारी
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