बिना एक्रेडिटेशन चल रहा इंजीनियरिंग कॉलेज

भागलपुर: भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्रेडिटेशन (मान्यता या प्रत्यायन) में शिक्षकों की कमी रोड़ा बन गया है. कॉलेज में नियमित रूप से प्राचार्य सहित 13 शिक्षक हैं. जरूरत 80 शिक्षकों की है. कॉलेज प्रशासन का कहना है कि जब तक शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो जाती, तब तक एक्रेडिटेशन कराने के लिए आवेदन नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2017 9:07 AM
भागलपुर: भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्रेडिटेशन (मान्यता या प्रत्यायन) में शिक्षकों की कमी रोड़ा बन गया है. कॉलेज में नियमित रूप से प्राचार्य सहित 13 शिक्षक हैं. जरूरत 80 शिक्षकों की है. कॉलेज प्रशासन का कहना है कि जब तक शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो जाती, तब तक एक्रेडिटेशन कराने के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता है. इससे कॉलेज की ग्रेडिंग नहीं हो रही है. इंजीनियरिंग कॉलेज का एक्रेडिटेशन नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन (एनबीए) से होता है.
क्यों जरूरी है एक्रेडिटेशन : एनबीए से मान्यता प्राप्त करने का उद्देश्य कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है. एक्रेडिटेशन होने से पहले संस्थान को विभिन्न मानकों को पूरा करना होता है. एक्रेडिटेशन के बाद संस्थान में हर तरह की सुविधा हो जाती है, जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिलता है. शिक्षकों की कमी दूर होने से पढ़ाई का स्तर और गुणवत्ता में वृद्धि हो जाती है और संबंधित संस्थान से पासआउट छात्रों की पूछ बड़ी-बड़ी कंपनियों में होने लगती है. इससे उसके प्लेसमेंट का लेवल हाइ हो जाता है. एक्रेडिटेशन के दौरान जो भी आवश्यकता बोर्ड के अधिकारियों को झलकती है, उसकी वह रिपोर्ट करते हैं. बाद में इसका लाभ संस्थान को ही मिलता है.
क्या है एनबीए : नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन (एनबीए) एआइसीटीइ अधिनियम की धारा 10 (यू) के तहत 1994 में इसे स्थापित किया गया था. इसका काम तकनीकी संस्थानों और कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना है. एनबीए अपने मौजूदा रूप में सात जनवरी 2010 से शिक्षा के गुणवत्ता और प्रासंगिकता के उद्देश्य से विशेष रूप से पेशेवर और तकनीकी विषयों इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, आर्किटेक्चर में कार्यक्रमों के साथ एक स्वायत्त निकाय के रूप में अस्तित्व में आया.
अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए उत्प्रेरक
एनबीए से मान्यता के कारण संस्थान के सिस्टम और प्रक्रियाएं इंस्टीट्यूशन के मिशन और विजन के साथ मिलती हैं. एनबीए की मान्यता प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता के लिए सभी आवश्यक शर्तें शामिल हैं. इस कारण एनबीए अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यायन हासिल करने की योजना बना रहे संस्थानों के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है.
अभी कॉलेज में नियमित शिक्षकों की काफी कमी है. अभी तक एक्रेडिटेशन नहीं कराया जा सका है. शिक्षकों की कमी दूर हो जायेगी, तो एक्रेडिटेशन कराने का प्रयास किया जायेगा. एक्रेडिटेशन होने से संस्थान इंटरनेशनल मार्किंग लेवल को प्राप्त कर लेता है, जिसका लाभ छात्रों को मिलता है.
-डॉ निर्मल कुमार, प्राचार्य, भागलपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग

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