profilePicture

महाराष्ट्र के मजदूरों को कहलगांव स्टेशन पर छोड़ कर भागा ठेकेदार

सुलतानगंज : महाराष्ट्र में जब-तब बिहारी आक्रोश का शिकार होते रहे हैं. लेकिन, कहलगांव (बिहार) के युवकों ने मानवता और सेवा भाव से मुश्किल में फंसे महाराष्ट्र के दो मजदूर परिवारों की मदद कर उन्हें वापस उनके घर भेजा. ट्रेन पर सवार होने के बाद जाते-जाते दोनों मजदूर भाइयों और उनकी पत्नियों ने कहा सचमुच, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 12, 2017 5:51 AM

सुलतानगंज : महाराष्ट्र में जब-तब बिहारी आक्रोश का शिकार होते रहे हैं. लेकिन, कहलगांव (बिहार) के युवकों ने मानवता और सेवा भाव से मुश्किल में फंसे महाराष्ट्र के दो मजदूर परिवारों की मदद कर उन्हें वापस उनके घर भेजा. ट्रेन पर सवार होने के बाद जाते-जाते दोनों मजदूर भाइयों और उनकी पत्नियों ने कहा सचमुच, बिहरी बड़े दिल वाले होते हैं. महाराष्ट्र के दो मजदूर भाइयों और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को वहां का एक ठेकेदार दो दिन पहले कहलगांव स्टेशन पर छोड़ कर भाग गया.

ठेकेदार नारायण वाडेकर महाराष्ट्र के मालेगांव के भेरा गांव के विजय तुलशी राम शिंदे व उसके भाई रघुनाथ शिंदे इनकी पत्नी क्रमश: चंदा व बालुबाई को काम दिलाने का झांसा देकर यहां लेकर आया था. इनके साथ दो बच्चे भी थे. ठेकेदार ने इन्हें केबल लाइन की मिट्टी कटाई का काम करने के नाम पर लाया था.

दो दिन पहले ये लोग ठेकेदार के साथ लोकमान्य एक्सप्रेस ट्रेन से भागलपुर स्टेशन पर उतरे. वहां से इन्हें कहलगांव लगाया गया. इन्हें कहलगांव स्टेशन पर बैठाकर ठेकेदार जो गया तो फिर लौटकर वापस नहीं आया. दोनों मजदूर भाई अपने परिवार के साथ दो दिनों तक टिकट काउंटर के पास पड़े रहे. पास में पैसे नहीं थे. दो दिनों तक सभी भूखे-प्यासे ही रहे. दोनों भाइयों के बच्चे भूख-प्यास से बिलबिला रहे थे.

मंगलवार की शाम दोनों मजदूर पत्नी व बच्चों के साथ अनुमंडल कार्यालय के पास पहुंचे. प्रभात खबर प्रतिनिधि से उन्होंने रोते हुए अपना दुखड़ा सुनाया. इनकी हालत इतनी खराब हो गयी थी कि वे भोजन कराने की गुहार लगाने लगे. प्रभात खबर की पहल पर कहलगांव के युवक एकलव्य उर्फ पोली पासवान, विपिन पासवान, संजीत सुमन, अमरदीप, राकेश भारद्वाज के अलावा कहलगांव थाना के एसआइ दुर्गेश कुमार पहुंचे. सबकी मदद से पहले मजदूर परिवारों को भोजन कराया गया. इसके बाद टिकट कटाकर रात की ट्रेन से उन्हें वापस उनके घर भेजा गया. जाते-जाते मजदूर परिवार अपने मददगारों को डबडबाई आंखों से देखते रहे.
दो दिन तक भूखे-प्यासे पर रहे स्टेशन पर
शहर के युवकों ने मदद कर वापस घर भेजा
मजदूरों ने कहा, सचमुच बिहारी बड़े दिलवले होते हैं

Next Article

Exit mobile version