प्रकाश की मौत के बाद, परिवार में कमाने वाला कोई नहीं, टूटा दुखों का पहाड़
लोगों ने कहा, रेल प्रशासन दे परिजनों को मुआवजा नहीं तो होगा आंदोलन नवगछिया : नवगछिया रेलवे रैक प्वाइंट पर ट्रैक्टर से कुचल कर मारे गये प्रकाश कुमार पासवान के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. प्रकाश अपने परिवार का इकलौता कमाउ सदस्य था. सात अप्रैल को रैक प्वाइंट पर सीमेंट की बोरियां […]
लोगों ने कहा, रेल प्रशासन दे परिजनों को मुआवजा नहीं तो होगा आंदोलन
नवगछिया : नवगछिया रेलवे रैक प्वाइंट पर ट्रैक्टर से कुचल कर मारे गये प्रकाश कुमार पासवान के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. प्रकाश अपने परिवार का इकलौता कमाउ सदस्य था. सात अप्रैल को रैक प्वाइंट पर सीमेंट की बोरियां अनलोड करने के दौरान वह ट्रैक्टर से गिर गया था. ट्रैक्टर उसे कुचलता हुआ निकल गया थ. प्रकाश के परिवार में उसके वृद्ध पिता लड्डू पासवान को छोड़ कर कोई भी पुरुष सदस्य नहीं है. लड्डू पासवान का कहना है कि उम्र अधिक होने के कारण वह रोजाना मजदूरी करने नहीं जा पा रहा है.
तीन मासूम पुत्रियों के सिर से उठ गया पिता का सहारा : प्रकाश अपने पीछे तीन पुत्रियां खुशी, राशि और आराधना को छोड़ गये हैं. तीनों की उम्र पांच वर्ष से कम ही है. तीनों अभी भी अपने पिता को कभी घर जा कर तो कभी चौबारे पर ढ़ूंढ़ती है. एक पुत्री आराधना जन्म से ही वाणी दिव्यांग है. प्रकाश का सपना था कि मेहनत मजदूरी कर पैसे जमा करेगा और अपनी पुत्री का इलाज करायेगा. कुछ चिकित्सकों ने उससे कहा था कि उसकी बेटी ऑपरेशन के बाद बोल सकती है. लेकिन प्रकाश का सपना सपना ही रह गया. प्रकाश की पत्नी पुतुल देवी का रो रो कर बुरा हाल है.
पुस्तैनी रूप से रेलवे में काम करता था प्रकाश : प्रकाश करीब 12 वर्ष से रेलवे मालगोदाम में ढ़ुलाई का काम करता था जबकि उसके पिता लड्डू पासवान 1971 से रेलवे मालगोदाम अब रैक प्वाइंट पर काम कर रहा है. प्रकाश के परिजनों को मदद की जरूरत है तो कोई भी सामने नहीं आ रहा है. परिजनों ने रेलवे के अधिकारियों से गुहार भी लगायी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है.
आजाद हिंद मोरचा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव ने रेल प्रशासन से दस लाख का मुआवजा और प्रकाश की विधवा को काम देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि रेलवे इनकी मदद नहीं करेगा तो करता है तो आंदोलन किया जायेगा.