72 की जरूरत, आठ घोड़े से लगा रहे अपराध पर लगाम

पुलिस जवान की भी है कमी घोड़े के रखरखाव पर लाखों रुपये हो रहे खर्च अस्तबल की हालत जर्जर भागलपुर : जिले का घुड़सवार दस्ता 72 की जगह आठ घोड़े से चल रहा है. सैन्य दल में पुलिस जवान की भी कमी है. व्यवस्था नहीं होने के कारण दियारा क्षेत्र की सुरक्षा भगवान है. दियारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2017 6:46 AM

पुलिस जवान की भी है कमी

घोड़े के रखरखाव पर लाखों रुपये हो रहे खर्च
अस्तबल की हालत जर्जर
भागलपुर : जिले का घुड़सवार दस्ता 72 की जगह आठ घोड़े से चल रहा है. सैन्य दल में पुलिस जवान की भी कमी है. व्यवस्था नहीं होने के कारण दियारा क्षेत्र की सुरक्षा भगवान है. दियारा क्षेत्र के सुदूर इलाकों में अपराधी बेखौफ घटना को अंजाम देने के बाद खुले आम घूम रहे हैं. घोड़े व जवान की कमी के कारण उन अपराधियों की धर-पकड़ नहीं हो पा रही है. सरकार घुड़सवार दस्ते पर लाखों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन नतीजा सिफर है.
जानकार बताते है कि वर्षों पहले यहां दर्जनों घोड़े थे, लेकिन रखरखाव के अभाव में कुछ घोड़े मर गये, तो कुछ बीमार पड़ गये. ऐसे घोड़े से काम लेना बंद कर दिया गया. वर्तमान में घुड़सवारी दस्ते में 10 घोड़े हैं. इसमें आठ घोड़े ही काम लायक हैं. बीमारी के कारण दो घोड़ा से काम लेना बंद कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि दियारा क्षेत्र में फसल लूट को बचाने के लिए चार घुड़सवार किशनगंज व चार बिहपुर दियारा क्षेत्र में ड्यूटी पर लगाये गये हैं. सुरक्षा के मद्देनजर यह संख्या काफी कम है.
अस्तबल का गिर रहा प्लास्टर : अंगरेज के जमाने के बने अस्तबल अब जवाब देने लगे हैं. दीवार का प्लास्टर टूट कर गिरने लगा है. बताया जा रहा है कि वर्षों पहले अस्तबल की मरम्मत करायी गयी थी. इसके बाद से मरम्मत कार्य नहीं किया गया है.
चुनाव व दियारा क्षेत्र में घुड़सवार दस्ता अहम
घुड़सवार दस्ते पर चुनाव के दौरान बड़ी जिम्मेवारी रहती है. दियारा क्षेत्र में सड़क नहीं रहने के कारण वाहन नहीं चल पाते है. ऐसे में मात्र एक विकल्प के रूप में घोड़ा होता है. सुरक्षा के मद्देनजर खेत व बहियार जाना आसान नहीं है. दियारा क्षेत्र में अपराधी भी भागने के लिए घोड़ा का ही उपयोग करते है. ऐसे में घुड़सवार दस्ता सुरक्षा को मजबूती प्रदान करते हैं.
प्रतिदिन एक घोड़े पर ढाई सौ खर्च
घुड़सवारी दस्ते में शामिल घोड़े पर सरकार लाखों रुपये खर्च करती है. एक घोड़े पर प्रतिदिन 200-250 रुपये तक खर्च किया जाता है. प्रतिदिन घोड़े को आधा किलो चना, एक किलो चोकर और तीन किलो जौ दिया जाता है. इसके अलाव नमक भी दिया जाता है.
घोड़े व जवान की कमी के कारण घुड़सवार दस्ता काम नहीं कर पा रहा है. घोड़ा व जवान की संख्या मानक के अनुरूप मिल जाये, तो दियारा क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे. अस्तबल की हालत भी काफी जर्जर है. सरकार को इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है.
अरशद अली खां, एसआइ घुड़सवार दल
बालक की गोली मार कर हत्या
वारदात . भवानीपुर थाना क्षेत्र के नया टोला बीरबन्ना की घटना
तकिये के नीचे से बरामद हुआ खोखा
हत्या का कारण स्पष्ट नहीं
नारायणपुर : भवानीपुर थाना क्षेत्र के नया टोला बीरबन्ना गांव में रविवार की देर रात मो बबलू बैठा के पुत्र मो अकबर (12 वर्ष) की सोयी अवस्था में गोली मार कर हत्या कर दी गयी. गोली उसकी कनपटी में मारी गयी है. सूचना मिलने पर सोमवार की अहले सुबह भवानीपुर के थानाध्यक्ष सुदिन राम पुलिस बल के साथ पहुंचे. छानबीन के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल नवगछिया भेजा. बाद में नवगछिया एसपी पंकज सिन्हा व एसडीपीओ मुकुल रंजन ने भी गांव पहुंचकर मृतक के परिजनों और ग्रामीणों से पूछताछ की. घटना के कारण का खुलासा नहीं हो पाया है.
पिता ने कहा, हमारी किसी से दुश्मनी नहीं, किस पर लगा दें आरोप
घटना स्थल से पुलिस ने एक खोखा बरामद किया, जो कनपटी के आरपार होकर तकिया में घुस गया था. मृतक के पिता मो बबलू बैठा ने पुलिस को बताया कि उसने किसी को नहीं देखा. किसके खिलाफ झूठा आरोप लगा कर केस दर्ज करायें. मेरे परिवार से किसी की कोई दुश्मनी नहीं है. हमलोग मेहनत मजदूरी कर जीवन बसर करते हैं . मेरा बड़ा बेटा अनवर दिल्ली में मजदूरी करता है. मेरे मासूम बेटे की हत्या क्यों और कैसे कर दी गयी, यह हमलोगों को समझा में नहीं आ रहा है. मृतक की मां बेचेनी देवी के बयान पर भवानीपुर ओपी थाना में मामले की प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुलिस अनुसंधान कर रही है.
घरवालों की ओर शक की सूई : पुलिस की शक की सुई मृतक के परिजनों की ओर ही घूम रही है. क्योंकि परिजनों ने अब तक घटना के संदर्भ में स्पष्ट बयान नहीं दिया है. माता, पिता और अन्य परिजनों का कहना है कि कब गोली चली और कब अकबर की मौत हुई, यह उनलोगों को पता नहीं चला, जो आश्चर्य में डालने वाली बात है. क्योंकि 10 फीट के दायरे में ही परिवार के सभी सदस्य सो रहे थे. यह बात समझ से परे है कि बालक की चीख या गोली की आवाज किसी ने नहीं सुनी. बालक की कनपटी में गोली लगने के अलावा उसके चेहरे पर भी चोट के निशान हैं. इससे यह भी प्रतीत हो रहा है कि जिस वक्त उसे गोली मारी गयी होगी, वह जगा होगा और उसने प्रतिरोध भी किया होगा. आखिर 12 साल के बालक की हत्या क्यों की गयी? ग्रामीण दबी जुबान से कह रहे हैं बालक की हत्या का कारण उसके घर की चहारदीवारी में ही दफन है.
घर के आंगन में ही सोया था पूरा परिवार
मृतक के पिता ने बताया कि रात में परिवार के सभी लोग घर के आंगन में सोये थे. करीब 12 बजे मेरी पत्नी बेचनी खातून को हिचकी आयी तो उसकी नींद टूट गयी. उसने बगल में सोये अकबर की कनपटी से खून बहते देखा, तो उसके पास गयी. उसकी कनपटी में गोली लगी थी और उसकी मौत हो चुकी थी. इधर ग्रामीण ने बताया कि अकबर के परिवारवालों ने हल्ला भी नहीं किया था. आंगन में ही मृतक की बहन अंजली और उसके दो छोटे भाई शमशेर व अकमल मां-बाप के साथ जमीन पर मच्छरदानी के अंदर साेये थे.

Next Article

Exit mobile version