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टीएमबीयू: साइबर लाइब्रेरी को इनफ्लिबनेट ने नहीं दिया लिंक, विवि को किया ब्लैकलिस्टेड

भागलपुर : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्वायत्त अंतर विश्वविद्यालय केंद्र इनफॉरमेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क सेंटर (इनफ्लिबनेट) ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) को ब्लेक लिस्टेड कर दिया है. यही वजह है कि 20 दिसंबर 2016 को ही उद्घाटन के बावजूद साइब्रर लाइब्रेरी बंद हैं. चार माह से गांधीनगर स्थित इनफ्लिबनेट के मुख्य कार्यालय से टीएमबीयू […]

भागलपुर : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्वायत्त अंतर विश्वविद्यालय केंद्र इनफॉरमेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क सेंटर (इनफ्लिबनेट) ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) को ब्लेक लिस्टेड कर दिया है. यही वजह है कि 20 दिसंबर 2016 को ही उद्घाटन के बावजूद साइब्रर लाइब्रेरी बंद हैं. चार माह से गांधीनगर स्थित इनफ्लिबनेट के मुख्य कार्यालय से टीएमबीयू को लिंक नहीं मिल पाया है.

यूजीसी के निर्देश पर टीएमबीयू में 2002 से 07 इनफ्लिबनेट ने लिंक दिया था. पांच सालों तक मुफ्त सुविधा मिली थी. इसके बाद भी कुछ सालों तक लाइब्रेरी लिंक से जुड़ा रहा. इसके एवज में विश्वविद्यालय को करीब 1.5 लाख की राशि का भुगतान करना था. यह राशि विवि द्वारा जमा नहीं करवाया गया. इसके बाद इनफ्लिबनेट ने टीएमबीयू को ब्लैकलिस्टेड कर दिया. साइबर लाइब्रेरी के उदघाटन के बाद लिंक देने के संबंध में पूर्व वीसी प्रो रमा शंकर दुबे के द्वारा चिट्ठी लिखी गयी. इसके बावजूद जब लिंक मिलने में देरी हुई तो लाइब्रेरी प्रबंधकों के द्वारा इनफ्लिबनेट कार्यालय से संपर्क किया गया. उन्हें बताया गया कि विवि को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है. इसलिए लिंक खुलवाने में देरी हो रही है.
मई में लिंक मिलने की उम्मीद : चौधरी- लाइब्रेरी के इंचार्ज प्रो बसंत चौधरी ने बताया कि इनफ्लिबनेट से साइबर लाइब्रेरी को मई तक लिंक मिलने की उम्मीद है. पूर्व वीसी के द्वारा पत्र भी लिखा गया था. कुछ कारणों से लिंक में देरी हुई है. अब मामला प्रासेस में है. लाइब्रेरी को फ्री में लिंक मिलेगी.
पढ़ पायेंगे सात हजार पत्रिका सिर्फ 25 लोग ही बने सदस्य
साइबर लाइब्रेरी को इनफ्लिबनेट से लिंक मिलने के बाद विद्यार्थी सात हजार पत्रिका ऑनलाइन पढ़ पायेंगे. फिलहाल लाइब्रेरी के लिए सिर्फ 25 लोगों ने सदस्यता ली है. लाइब्रेरी के सर्वर रुम को एनआइसी पटना से जोड़ दिया गया है. पर नेट अक्सर स्लो चलने की शिकायत है.
न कंप्यूटर, न लाइब्रेरीसाइंस एक्सपर्ट मिला
साइब्रेरी लाइब्रेरी तो खोल दिया गया पर विश्वविद्यालय ने अब तक इसकी देखरेख के लिए न तो कंप्यूटर व न ही लाइब्रेरी साइंस एक्सपर्ट दिया है. लाइब्रेरी में 30 में सिर्फ 25 कंप्यूटर लगे हैं. जगह की कमी के कारण पांच रखे हुए हैं. लाइब्रेरी की छत जर्जर है. मानसून में यह टपक सकती है.
रुसा से फंड मिलने पर होगा लाइब्रेरी का ऑटोमेशन
बी ग्रेड एक्रीडेशन मिलने के बाद रुसा से 20 करोड़ की राशि मिलनेवाली है. 10 फीसदी यानी करीब दो करोड़ लाइब्रेरी को भी मिलने की आस है. इस राशि से लाइब्रेरी का ऑटोमेशन किया जायेगा. इससे मेन्युल के बजाय कंप्यूटराइज परचेज होगा. किताबों की बारकोडिंग हो जायेगी.

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