शहरवालों पर कम व बाहर वालों पर अधिक मेहरबानी

भागलपुर : वर्ष 1968 के एक फिल्म की धुन गैरों पे करम, अपनों पे सितम, ए जाने वफा, ये जुल्म न कर, की तरह कुमार अनुज ने बाजार समिति में दुकान बसाने का काम किया. इस बात का खुलासा बागबाड़ी बाजार समिति घोटाले की प्रशासनिक जांच रिपोर्ट से हुआ है. इसमें समिति के नियम एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2017 6:32 AM

भागलपुर : वर्ष 1968 के एक फिल्म की धुन गैरों पे करम, अपनों पे सितम, ए जाने वफा, ये जुल्म न कर, की तरह कुमार अनुज ने बाजार समिति में दुकान बसाने का काम किया. इस बात का खुलासा बागबाड़ी बाजार समिति घोटाले की प्रशासनिक जांच रिपोर्ट से हुआ है. इसमें समिति के नियम एक परिवार के एक ही दुकान आवंटन के प्रावधान का उल्लंघन किया गया. कुमार अनुज ने भागलपुर हाट बनाते वक्त कहा था कि अतिक्रमण में उजड़े दुकानदारों को बागबाड़ी में बसायेंगे.

उनके बसाने के बाद अन्य को मौका मिलेगा. किसी को यह पता नहीं था कि उजड़े दुकानदार समिति की रसीद को लेकर अभी भी चक्कर काट रहे हैं और जुगाड़ वाले लोग एक दुकान के बजाय कई दुकानों के मालिक बन बैठेंगे. इसके विपरीत शहरवालों को कम, बाहर वालों पर अधिक मेहरबानी की गयी. भागलपुर हाट में बाजार समिति की जमीन को अपनी रैयत समझते हुए कुमार अनुज ने दुकानों का आवंटन किया. आवंटन में गड़बड़ी में एक से अधिक दुकानों के आवंटन मामला 26 है.

बाहरवालों को आवंटित एक से अधिक दुकानें
दुकान मालिक जगह संख्या
हरेराम चौधरी बाराहाट, बांका 11
सीताराम विन्द लखीसराय 6
जगबंधु गोराय वीरभूम, बंगाल 8
कृष्ण कुमार चौरसिया गेरुआ पुसंडी, लखीसराय 5
राजेश कुमार मुर्गियाचक, खगड़िया 16

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