राजनीति की बिसात पर मात खा गये मंजूषा गुरु

तमाम समाजसेवियों, संस्कृतिकर्मियों व कलाकारों की मेहनत पड़ गयी फीकी भागलपुर : सामाजिक, कला, संस्कृति समेत जिंदगी के हर पहलू पर अपनी काबिलियत का डंका बजानेवाले मंजूषा गुरु मनोज पंडित ने जब राजनीति की बिसात अपनी चाल चली, तो मात खा गये. शहर के जमीन से जुड़े समाजसेवियों, संस्कृतिकर्मियों व कलाप्रेमियों की तमाम अपील और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 24, 2017 5:21 AM

तमाम समाजसेवियों, संस्कृतिकर्मियों व कलाकारों की मेहनत पड़ गयी फीकी

भागलपुर : सामाजिक, कला, संस्कृति समेत जिंदगी के हर पहलू पर अपनी काबिलियत का डंका बजानेवाले मंजूषा गुरु मनोज पंडित ने जब राजनीति की बिसात अपनी चाल चली, तो मात खा गये. शहर के जमीन से जुड़े समाजसेवियों, संस्कृतिकर्मियों व कलाप्रेमियों की तमाम अपील और वार्ड 50 में की गयी मेहनत पसंद नहीं आयी. चुनावी प्रचार में अपने छाता (चुनाव चिह्न) को साथ लेकर चलनेवाले मंजूषा गुरु की झोली में वोटों की बारिश नहीं हो सकी. मनोज पंडित को महज 32 वोट मिलना, कई सवाल खड़ा करता है. राजनीति में प्रबुद्ध लोगों, कला व संस्कृतिप्रेमियों का प्रवेश इतना मुश्किल क्यों है. राजनीति में शुचितावाद का सिर्फ रट्टा मारने से क्या होगा भला.
मनोज ने अपने अब तक के जीवन काल में सैकड़ों ऐसे नुक्कड़ नाटक किये, जिसमें मतदाताओं को जागरूक होने का संदेश दिया गया. हजारों दीवारों पर उनकी कूचियों ने रंग बिखेर कर कलाकृतियों के प्रति लोगों को आकर्षित किया. देश के कई विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी कला का जलवा बिखेरा. दर्जनों रंगमंच पर अपनी अदाकारी दिखाई. लेकिन राजनीति के मंच को मंजूषा का यह कलाकार रास नहीं आया. वह भी तब, जबकि इन्हें चुनाव में जीत दिलाने की कोशिश वे लोग कर रहे थे, जिनके सामने लोग अदब से पेश आते हैं, आदर करते हैं. जब मनोज पंडित चुनाव लड़ने की सोचे भी नहीं थे, तो सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें इतना झकझोरा कि उन्हें लगा कि इस रास्ते पर चल कर भी समाज के लिए कुछ किया जा सकता है. बिना अनुभव उन्होंने राजनीति की राह पकड़ ली. नतीजा सबके सामने है.
इरोम शर्मिला याद आयी
मणिपुर में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इरोम शर्मिला को महज 90 मत मिले थे. यह उस क्रांतिकारी महिला की कहानी है, जिसने मणिपुर के हित के लिए 16 साल से भूख हड़ताल की. दूसरी ओर फकीर की तरह जीवन जीनेवाला एक कलाकार अपने वार्ड संख्या 50 में पचास वोट भी हासिल नहीं कर पाया और 32 वोट पर सिमट कर रह गया.

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