पटल बाबू रोड की जांच रिपोर्ट में दर्जन भर पदाधिकारी दोषी
विजिलेंस डीजी को एसपी ने सौंपी 150 पन्ने की रिपोर्ट भागलपुर : एनएच 80 ऊंचा निर्माण के मामले की चल रही विजिलेंस जांच पूरी हो गयी है. इसका रिपोर्ट भी तैयार हो गयी है. गुरुवार को विजिलेंस डीजी को एसपी ने 150 पन्ने की रिपोर्ट भी सौंप दी है. यहां से उच्च न्यायालय को रिपोर्ट […]
विजिलेंस डीजी को एसपी ने सौंपी 150 पन्ने की रिपोर्ट
भागलपुर : एनएच 80 ऊंचा निर्माण के मामले की चल रही विजिलेंस जांच पूरी हो गयी है. इसका रिपोर्ट भी तैयार हो गयी है. गुरुवार को विजिलेंस डीजी को एसपी ने 150 पन्ने की रिपोर्ट भी सौंप दी है. यहां से उच्च न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी जायेगी.
विजिलेंस जांच 19 अप्रैल से शुरू हुई थी, जिसमें पटल बाबू रोड का मुआयना किया गया था. विजिलेंस जांच रिपोर्ट में एनएच के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता लालमोहन प्रजापति को मुख्य आरोपी ठहराया है. इसके अलावा कांट्रैक्टर को लापरवाह बताया गया है.
पदाधिकारियों की सोची-समझी साजिश है गलत सड़क निर्माण
सूत्र की मानें, तो विजिलेंस विभाग ने जांच के क्रम में अधिकारियों और कर्मचारियों सहित ठेकेदार की सोची-समझी साजिश पाया है. षड़यंत्र के तहत सड़क का निर्माण कराया गया है, जिससे यह न तो ज्यादा दिनों तक टिक सका और न ही नाला का निर्माण कराया गया है. यहीं नहीं, डिफेक्ट लैबलिटी पीरियड में मेंटेनेंस भी नहीं कराया गया.
प्रति किमी डेढ़ करोड़ से ज्यादा राशि खर्च
सूत्र की मानें तो प्रति किमी डेढ़ करोड़ से ज्यादा राशि खर्च हुई है. इसके बावजूद सड़क ज्यादा दिनों तक नहीं टिकी. विजिलेंस एसपी संजय भारती ने राशि की बंदरबांट होने की सत्यता की भी जांच की है. रोड निर्माण के दौरान कार्यरत चीफ इंजीनियर, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, एकाउंटेंट, एमबी बुक करने वाले सहित 12 से 15 अधिकारी व कर्मचारियों को घेरे में लेकर जांच की है.
कैसे की गयी जांच
विजिलेंस एसपी संजय भारती याचिकाकर्ता से मिले, संबंधित कागजात जुटाये.
एडीएम से मिल कर सड़क ऊंचा निर्माण के मामले की जानकारी लिया गया.
सड़क निर्माण से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस किया गया.
अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की गयी और उनसे लिखित लिया.
इन बिंदुओं पर उठे सवाल
एस्टिमेट को किस परस्थिति में स्वीकृति मिली.
एमबी (मेजरमेंट बुक) कैसे बुक किया गया.
एस्टिमेट के प्रावधान के तहत मिरजाचौकी से छर्री लायी गयी थी या नहीं?
रोड निर्माण सामग्रियां बेगूसराय से लायी गयी थी या नहीं.
पीक्यूसी निर्माण से पहले मेटेरियल देना अनिवार्य था, कहीं केवल डस्ट युक्त मेटेरियल डालकर तो पीक्यूसी निर्माण नहीं कराया गया है.
एनएच एलाइनमेंट से बिजली पोल-तार हटाने की योजना को पहले ही प्राक्कलन में क्यों नहीं शामिल किया गया. बाद में लगभग 96 लाख रुपये का टेंडर का विज्ञापन क्यों निकालना पड़ा?
एनएच निर्माण की गड़बड़ी का मामला कोर्ट में जाने से पूर्व जिला प्रशासन ने एक्शन क्यों नहीं लिया?