भागलपुर में आवास योजना में भ्रष्टाचार, संविदा कर्मियों पर गिरी गाज, अधिकारियों पर नहीं हुई कार्रवाई
भागलपुर में आवास योजना में राशि के दुरुपयोग की पुष्टि होने पर कार्रवाई हुई लेकिन सिर्फ संविदा कर्मियों पर, अफसरों पर नहीं. इस मामले में अवर सचिव ने डीएम को पत्र भेजा है.
Corruption In Government Scheme: भागलपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद भी एक भी अधिकारी कार्रवाई की जद में नहीं आये. आम लोगों ने जब मामले को उठाया, तो कार्रवाई की भी गयी, तो संविदा कर्मियों के खिलाफ. इस मामले को लेकर शिव पार्वती नगर निवासी मिथिलेश कुमार ने मुख्य सचिव को आवेदन भेजा था और यह अनुरोध किया था कि बिना किसी भेदभाव के आवास योजना में भ्रष्टाचार के मामले में भारतीय कानून व्यवस्था के तहत कार्रवाई हो. इस पर ग्रामीण विकास विभाग के अवर सचिव सदय कुमार सिन्हा ने भागलपुर के डीएम व डीडीसी को पत्र भेजा है और कार्रवाई करने कहा है.
क्या लिखा है आवेदन में
भागलपुर के उपविकास आयुक्त को संबोधित आवास योजना से संबंधित आवेदन में लिखा है कि आपके द्वारा कुछ एक भ्रष्टाचार के मामलों में ग्रामीण सहायक पर की गयी 25 प्रतिशत मानदेय कटौती की कार्रवाई नियम संगत प्रतीत नहीं होती है. मामलों में सरकारी धन का नियम विरुद्ध उपयोग व गबन से संबंधित भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है. जहां दस्तावेज से छेड़छाड़ करते हुए जगदीशपुर बीडीओ के स्वीकृति व हस्ताक्षर से गुजरते हुए, डीडीसी का अनुमोदन प्राप्त कर प्रथम व अन्य किस्तों का भुगतान किया गया है.
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
आवेदन में आगे लिखा गया कि इस मामले के लिए सभी संबंधित कर्मियों व अधिकारियों पर प्राथमिक दर्ज होनी चाहिए थी. लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होता प्रतीत हो रहा है. यहां केवल ग्रामीण आवास सहायक के वेतन में कटौती की गयी. क्या इसके अतिरिक्त सभी कर्मी व अधिकारी के दायित्व को नजरअंदाज नहीं किया गया है. भ्रष्टाचार उजागर किया गया, नहीं तो इतनी बड़ी राशि की हेरा-फेरी पता भी नहीं चलती.
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कार्रवाई में भेद-भाव
सरकारी धनराशि का गलत रूप से नियम विरुद्ध उपयोग के लिए भारतीय कानूनी प्रणाली के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन विभाग के एक पत्र का सहारा लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना के सबसे निम्न स्तर के संविदाकर्मी पर कार्रवाई की गयी. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना अंतर्गत भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद भी कार्रवाई में भेद-भाव और नियम का अभाव होने से भ्रष्टाचार में अंकुश लग पाना संभव नहीं दिख रहा है.