महंगाई ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. भोजन की थाली से कई चीजें गायब होती नजर आ रही हैं. पहले प्याज ने लोगों के स्वाद पर ब्रेक लगाया. फिर दाल खरीदना आम लोगों के बूते के बाहर हो गयी. ओले पड़ने व बेमौसम बारिश के कारण देश के दाल उत्पादक राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि में अरहर, चना व मसूर की फसल कमजोर है. ऐसे में अफ्रीकन देशों से अरहर आयात पर भारतीय बाजार निर्भर हो गया है. बाजार में महंगाई का असर दिखने लगा है. हालांकि काबुली चना के भाव में गिरावट से आंशिक राहत मिली है. एक ओर जहां तेलहन ने उपभोक्ताओं को राहत दी है तो नयी फसल आने के बाद भी दलहन में तेजी दिखने लगी है.
इसलिए बढ़ रही कीमत
यह माना जा रहा है कि दूसरे देशों से अरहर का आयात करने पर सभी तरह का बोझ उपभोक्ताओं को झेलना पड़ रहा है. थोक दलहन कारोबारी रोहित कुमार ने बताया कि इस बार पूरे देश में रबी फसल कमजोर हुई है. खासकर दलहन पर अधिक असर दिख रहा है. अफ्रीका और वर्मा से अरहर आयात पर देश पूरी तरह निर्भर हो गया है. इसका असर भारतीय बाजार पर दिखने लगा है. किराना कारोबारी ओमप्रकाश कानोडिया ने बताया कि होली से पहले तेलहन खासकर सरसों तेल व रिफाइन की कीमत 10 रुपये प्रति लीटर तक घट गयी. अभी सरसों तेल 115 रुपये लीटर व रिफाइन 110 रुपये खुदरा में बिक रहे हैं. शहर के विभिन्न मोहल्ले के उपभोक्ताओं की मानें तो जिस तरह से तेलहन की कीमत गिरने की बात हो रही है, उसका अधिक फायदा खुदरा ग्राहक को नहीं मिल पा रहा है. अब भी बिचौलिया अधिक लाभ कमा रहे हैं. अचानक कीमत गिरने के बाद भी खुदरा दुकानदार अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की चाहत में धीरे-धीरे कीमत घटा रहे हैं. उनका कहना है कि अभी पुराना माल ही बेच रहे हैं. मार्केटिंग ऑफिसर भी इन पर शिकंजा नहीं कस रहे हैं.