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Agricultural News: मंजर से लदे आम व लीची के पेड़, कृषि विभाग ने किसानों को किया अलर्ट, शीघ्र कर लें ये काम

Agricultural News मंजर में फूल लगने से पहले तक सिंचाई कर सकते हैं. मंजर लगने के बाद सिंचाई किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए

Agricultural News ठंड में गिरावट होते ही तापमान बढ़ने लगे हैं. वैसे ही आम व लीची के पेड़ों में मंजर लद गये. आम व लीची के पेड़ों में मंजर लदने के साथ ही किसान अधिक से अधिक फल प्राप्त करने के उपाय करने लगे हैं. कृषि विभाग ने किसानों को सजग किया है कि मंजर में फूल लगने से पहले तक सिंचाई व दवा का छिड़काव कर सकते हैं.

जर्दालू के प्रति बढ़ा रुझान, मालदह, बंबई, लंगरा, दशहरी भी कम नहीं

उद्यान विभाग व पौधा संरक्षण विभाग की मानें, तो अल्टरनेटर होने के कारण एक साल कम आम व लीची का उत्पादन होता है, तो दूसरे साल अधिक. जिन पेड़ों में मंजर आये हैं, उसमें मेहनत किया जाये, तो बेहतर उत्पादन होगा. भागलपुर जिले के नवगछिया, खरीक, बिहपुर, नारायणपुर, गोपालपुर व सबौर में 4215 हेक्टेयर जमीन में लीची की उपज होती है. जबकि जिले के ही कहलगांव, पीरपैंती, नवगछिया, सबौर, जगदीशपुर, शाहकुंड, सन्हौला, गोपालपुर, बिहपुर, खरीक, सुलतानगंज आदि क्षेत्रों में 8976 हेक्टेयर भूमि में आम फलता है. सुलतानगंज, सबौर, नाथनगर में भागलपुर का नामी जर्दालू आम फलता है. अन्य किस्म मालदह, बंबई, लंगरा, दशहरी आम भी फलते हैं.

आम व लीची का बढ़ेगा उत्पादन, बारिश से मिला फायदा

पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक सुजीत कुमार पाल ने बताया कि इस बार आम और लीची का उत्पादन अच्छी होना है. उद्यान विभाग की मानें, तो आम 8976 हेक्टेयर भूमि में, लीची 4215 हेक्टेयर भूमि में होगा. आम का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 टन और लीची छह टन प्रति हेक्टेयर होगा.

पांच वर्ष के दौरान लीची का रकबा बढ़ा, उत्पादन बढ़ता-घटता रहा

हरेक वर्ष लक्ष्य से कम लीची का उत्पादन हुआ. पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक श्री पाल ने बताया कि इस बार आशा से अधिक उत्पादन होगा. बारिश होने से आम व लीची को फायदा हुआ है. मंजर में फूल लगने से पहले तक सिंचाई कर सकते हैं. मंजर लगने के बाद सिंचाई किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए और न ही छिड़काव. इससे मंजर सूखने लगेगा. पॉलिनेशन नहीं हो सकेगा. फूल से फल नहीं बन पायेगा. किसानों को अपने पौधे पर अभी से ही जिसमें मंजर के फूल नहीं लगे हैं, उसमें पहला छिड़काव कर सकते हैं. डाय माइथ्योट 25 प्रतिशत ईसी कीटनाशी एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर सकते हैं. पत्तों पर अर्थात पर्नीय छिड़काव कर सकते हैं. दूसरा छिड़काव सरसों के दाना के आकार का फल होने पर ही छिड़काव करना चाहिए. प्लॉनोफिक्स एवं फफूंदनाशी को मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.

किसानों को सुझाव दिया जाता है कि समय से फफूंदनाशी-कीटनाशी एवं सल्फर का व्यवहार करें. किसान इसके लिए बीएओ, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण से संपर्क कर विशेष जानकारी ले सकते हैं. जिन क्षेत्रों में पेड़ की धुलाई की गयी है, वहां पर मंजर आना शुरू हो गया है.- सुजीत कुमार पाल, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण विभाग.

तापमान बढ़ने पर करें दवा का छिड़काव

पौधा संरक्षण विभाग की ओर से किसानों के लिए निर्देश जारी किया गया है आम, लीची व चौड़ी पत्ती वाले केला, पपीता एवं अन्य पौधे में अचानक तापमान में वृद्धि होने से फूल एवं फल प्रभावित नहीं हो इसके बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम एक ग्राम प्रति लीटर पानी एवं इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल एक एमएल तीन लीटर पानी में मिलाकर स्टीकर के साथ छिड़काव करें. एक लीटर पानी में पचास एमएल गौ मूत्र मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है.

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