श्रावणी मेला में गंगा जल के साथ ही गंगा की मिट्टी का है विशेष महत्व
श्रावणी मेला में गंगा जल के साथ ही गंगा की मिट्टी का है विशेष महत्व
– हर जलपात्र पर रहता है गंगा की मिट्टी का लेयर
शुभंकर, सुलतानगंज
विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में पवित्र उत्तरवाहिनी गंगाजल के साथ कांवरिया गंगा की मिट्टी जरूर लेते हैं. मिट्टी की भी महत्ता कम नहीं है. गंगा की मिट्टी हर जल पात्र पर अवश्य रहता है. कांवरिया गंगाजल भरने के बाद जल पात्र के ऊपर गंगा मिट्टी से उसे ठीक ढंग से लपेट कर गंगाजल को बाबाधाम तक ले जाते हैं. जिससे गंगा जल रास्ते में कहीं नहीं गिरे. सुरक्षित बाबाधाम तक पहुंचता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा मिट्टी औषधीय गुणों से भरपूर होता है. बाबा को गंगा जल अर्पण के साथ गंगा की मिट्टी भी अंश मात्र जाता है, जो शीतलता प्रदान करता है.घर के जल में इस मिट्टी को मिला देने से बन जाता है गंगाजल
गंगा मिट्टी गंगा के जलपात्र पर चढ़ाने से जल सुरक्षित रहता है. कांवरियों ने बताया कि गंगा मिट्टी जल पात्र के ऊपर पूरी तरीके से लपेट कर ले जाने के बाद गंगा जल डिब्बे से बाहर नहीं आता है. गंगा मिट्टी उसे रोक लेती है. मिट्टी जल पात्र के ऊपर एक कवर का काम करता है. पंडित संजीव झा ने बताया कि गंगा की मिट्टी यानि मृतिका काफी उपयोगी होता है. कांवरिया सहित हर श्रद्धालु गंगा मिट्टी अपने घर ले जाते हैं और कई कामों में उपयोग करते हैं. गंगा मिट्टी जब गंगाजल नहीं रहने पर किसी भी जल में इस मिट्टी को थोड़ा सा मिला देने से गंगाजल की महत्ता बन जाती है. इस मिट्टी में साक्षात देवी का अंश माना जाता है. इस कारण गंगा मिट्टी सभी शुभ कार्य में उपयोग होता है.गंगा मिट्टी से भी होती है कमाई, कांवरियों को मिलती है सुविधासुलतानगंज गंगा घाट पर कई पूजा-पाठ की दुकानों में गंगा मिट्टी बेचा जाता है. हर कांवरिया गंगा मिट्टी अवश्य खरीदते हैं. बताया जाता है कि श्रावणी मेला के पूर्व गंगा मिट्टी जमा कर कई ऐसे परिवार हैं जो मिट्टी को तैयार कर गोला बनाने का काम करते हैं. दुकान तक पहुंचाते हैं. जिससे उनको भी कुछ मुनाफा हो जाता है. कई कांवरियों ने बताया कि गंगा मिट्टी अपने साथ घर पर भी ले जाते हैं और सालों भर पूजा-पाठ के काम में लाया जाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काफी शुद्ध माना जाता है. सुलतानगंज गंगा घाट पर सैकड़ों फूल-बेलपत्र की दुकान में गंगा मिट्टी गोला बनाकर बेचा जाता है.
बाबा को प्रसन्न करने के लिए तीन जिले से आता है बिल्वपत्र
बिल्वपत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है. श्रावणी मेला में बिल्वपत्र की काफी खपत सुलतानगंज में होती है. बताया गया कि भागलपुर, मुंगेर, बांका जिला के ग्रामीण क्षेत्रों से बिल्वपत्र तोड़कर कई लोग स्थानीय दुकानदारों को उपलब्ध कराते हैं. स्थानीय दुकानदार भी बेलपत्र की मांग को देखते हुए इनसे लेते हैं और पूजा पाठ में कांवरियों के बीच बिक्री करते हैं. कांवरिया गंगा जल पर बिल्वपत्र अर्पण कर बाबा को प्रसन्न करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है