अंग प्रदेश ने युगों से भारतीय संस्कृति को समृद्धि प्रदान की, रंग महोत्सव धरोहरों को संजोने की मुहिम
अंग प्रदेश ने युगों युगों से भारतीय संस्कृति में समृद्धि प्रदान की है. सतयुग में मंदार पर्वत से हुआ समुद्र मंथन और उससे स्थापित विश्व शांति का संदेश आज भी हमारी संस्कृति का एक प्रमुख भाग है
अंग प्रदेश ने युगों युगों से भारतीय संस्कृति में समृद्धि प्रदान की है. सतयुग में मंदार पर्वत से हुआ समुद्र मंथन और उससे स्थापित विश्व शांति का संदेश आज भी हमारी संस्कृति का एक प्रमुख भाग है.त्रेता युग में श्रृंगी ऋषि के पदार्पण से हुई वृष्टि से अंगप्रदेश कृषि के क्षेत्र में उन्नत हुआ और आज कतरनी चूड़ा-चावल और जर्दालु जैसे आम का यहां होना विश्व में अपनी अलग पहचान बनाता है.द्वापर में दानवीर कर्ण ने अपनी वीरता और मित्रता का उदाहरण प्रस्तुत किया. आधुनिक युग में अंग प्रदेश साहित्य, संस्कृति, आध्यात्मिक और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अनेक विभूतियां दी हैं. रंग महोत्सव इसी धरोहर को संजोकर रखने की एक मुहिम है. उक्त बातें बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीवकांत मिश्र ने शनिवार को कही. मौका था कला केंद्र में रंगग्राम जन सांस्कृतिक मंच की ओर से 11वें तीन दिवसीय भागलपुर रंग महोत्सव के शुभारंभ का. इससे पहले रंग महोत्सव का उद्घाटन राजीवकांत मिश्र, पूर्व मेयर डॉ वीणा यादव, पूर्व डिप्टी मेयर डॉ प्रीति शेखर, जिला युवा कला-संस्कृति पदाधिकारी अंकित रंजन, प्रकाशचंद्र गुप्ता, तरुण घोष ने संयुक्त रूप से किया. अद्रिजाश्री के शास्त्रीय नृत्य व शारदा सिन्हा स्मृति नृत्य से हुआ रंग महोत्सव का आगाज अद्रिजाश्री द्वारा जीवंत शास्त्रीय वंदना नृत्य एवं ताल नृत्य संस्थान भागलपुर की ओर से मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा स्मृति स्वरूप समूह नृत्य से रंग महोत्सव का आगाज हुआ. श्वेता भारती के निर्देशन में शारदा सिन्हा के गायन के सफर को नृत्य व गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया. पहले कोयल बिन बगिया ना शोभे राजा…, फिर फिल्मी गीत तार बिजली से पतले हमारे पिया…, छठ गीत केलवा के पात पर…, विवाह गीत आदि को कोलाज के रूप प्रस्तुत कर अतिथियों का मन जीत लिया. इस मौके पर पूर्व सांसद सुबोध राय, देवाशीष बनर्जी, प्रशांत विक्रम, डॉ अशोक कुमार यादव, सुनील रंग, जगतराम साह कर्णपुरी, महबूब आलम, एनुल होदा, आफताब, धनंजय मंडल, प्रकाश चौधरी, तापस घोष, प्रणव कुमार, दीपक पाठक सहित पटना, जलपाईगुड़ी, जमशेदपुर आदि के कलाकार उपस्थित थे.
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