2000 साल पहले हड़प्पा काल का मशहूर किस्म सोनमोती गेहूं का उत्पादन अंग क्षेत्र में शुरू हो गया है. अभी प्रयोग के रूप में उत्पादन शुरू हुआ है, लेकिन इसे विस्तारित करने के लिए प्रगतिशील किसानों ने कमर कस ली है. दरअसल यह गेहूं फोलिक एसिड से युक्त लो ग्लूटीन शुगर फ्री होता है. इस गेहूं का सेवन करने से कैंसर के मरीज के साथ मधुमेह के मरीज लाभान्वित होते हैं. तैयार किया 20 क्विंटल बीज, बीएयू में कराया उपलब्ध
वहीं दूसरे युवा प्रगतिशील किसान उत्तम यादव ने बताया कि शाहकुंड के किशनपुर अमखोरिया में सोनामती गेहूं का उत्पादन किया. इसी क्रम में काला धान व काला गेहूं का भी उत्पादन किया. धीरे-धीरे इसे विस्तारित करने की योजना है. नाथनगर के प्रगतिशील किसान गुंजेश गुजन ने बताया कि प्रयोग के तौर पर सोनामती गेहूं की खेती की है. अभी इसका बाजार ढूढ़ रहे हैं. बाजार में मांग बढ़ने के बाद खेती का रकबा बढ़ायेंगे.
बिना उर्वरक के इस्तेमाल कतरनी की तरह कम सिंचाई में होती है खेतीसुबोध चौधरी ने बताया कि बिना उर्वरक के इस्तेमाल के इस गेहूं की खेती की जा सकती है. जिस तरह कतरनी के पौधे लंबे-लंबे हाते हैं, उसी तरह इस गेहूं के भी. पौधे के गिरने के भय से इसमें उर्वरक का इस्तेमाल नहीं के बराबर किया जाता है. इस तरह यह जैविक विधि से खेती करना अधिक कारगर है. उन्होंने बताया कि इसी तरह खपली गेहूं ग्लूटेन-मुक्त और फाइबर युक्त होने के कारण अपनी अलग पहचान रखता है, जो हृदय रोग, मधुमेह और कब्ज के लिए फायदेमंद है.
सोनामती गेहूं के फायदे इस गेहूं में किसी भी अन्य अनाज के मुकाबले तीन गुना अधिक फोलिक एसिड होता है. लगभग 267 प्रतिशत अधिक खनिज और 40 प्रतिशत अधिक प्रोटीन पाया जाता है. आयुर्वेद चिकित्सक डॉ राधेश्याम अग्रहरि ने बताया कि फोलिक एसिड गर्भवती महिलाओं के लिए काफी लाभदायक है. साथ ही बालों को भी मजबूत बनाता है. इस किस्म में ग्लूटेन और ग्लाइसीमिक तत्व कम होने के कारण, डायबिटीज पीड़ितों के लिए अधिक फायदेमंद है. फोलिक एसिड की कमी के कारण असमय बालों का सफेद होना, दस्त, मुंह में छाले व जीभ में सूजन आदि समस्याएं होने लगती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है