कला केंद्र में सोमवार को शहर के विभिन्न अंगिका साहित्यकारों व सामाजिक संगठनों की बैठक हुई. अध्यक्षता डॉ योगेंद्र ने की. बैठक में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अंगिका समन्वय समिति का गठन किया गया. इसमें डॉ प्रदीप प्रभात, डॉ राधेश्याम चौधरी, डॉ अमरेंद्र, अनिरुद्ध प्रसाद विमल, सीतांशु अरुण, इकराम हुसैन शाद, मनोज मीता, शंभू कुमार, डॉ केके मंडल, अलका सिंह, विभु रंजन जायसवाल, राजीव कुमार झा, प्राण मोहन प्रीतम एवं त्रिलोकी नाथ दिवाकर आदि को शामिल किया गया. साथ ही पांच सूत्री मांगों को लेकर 31 जनवरी को महाधरना आयोजित करने का निर्णय लिया गया.
संगठन की युवा टोली में कुमार गौरव,बबली कुमारी, पवन कुमार, रौशन बर्णवाल, इंद्रजीत एवं पूर्णेंदु चौधरी को शामिल किया गया. अंगिका अकादमी में अध्यक्ष की नियुक्ति करने, एनसीइआरटी में अंगिका को शामिल करने, बीपीएससी शिक्षक भर्ती में अंगिका को शामिल करने, यूजीसी नेट परीक्षा में अंगिका को शामिल करने, अंगिका को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने आदि मांग उठायी जायेगी.
डॉ योगेन्द्र ने कहा कि भारत सरकार ने अंगिका भाषा को कोड नहीं देकर छह करोड़ अंगिका भाषियों की उपेक्षा की है. अंगिका की अस्मिता को बचाने के लिये सभी अंगिका भाषा भाषी क्षेत्र में हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा. कवि अनिरुद्ध प्रसाद विमल ने कहा कि अंगिका भाषा की अवहेलना करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों दोषी हैं. सरकार अंगिका के साहित्यकारों की सूची तैयार करें. कवि सुधीर कुमार प्रोग्रामर ने सामूहिक आंदोलन करने की बात करते हुए बताया कि एनसीइआरटी ने भागलपुर को मिथिला क्षेत्र बता दिया, इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए. डॉ आलोक प्रेमी ने बताया कि दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार द्वारा एक चिट्ठी आयी थी, लेकिन स्कूलों ने उसे महत्व नहीं दिया और रिपोर्ट को दबा दिया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय,नवोदय विद्यालय आदि विद्यालयों में अंगिका बोलने वाले छात्र और शिक्षकों की सूची तैयार करनी होगी. प्रदीप प्रभात ने कहा कि एक मंच बनाकर मानव शृंखला बनाने की आवश्यकता है. प्रो देवज्योति मुखर्जी ने कहा कि अंगिका अतिप्राचीन भाषा है, इसका प्रचार- प्रसार होना चाहिए. अंगिका को, छीका छिकी, ठेठी , छै छू ,खोरठा आदि नाम से जाना जाता रहा है. गौतम सुमन गर्जना ने कहा कि अपनी भाषा-साहित्य के क्षेत्र को बचाने के लिये हमें जागरूक होकर सजग रहने की जरूरत है. डॉ मधुसूदन झा ने अंगिका भाषा के समुचित सम्मान व अधिकार के लिए होनेवाले संघर्ष को तेज करने का अनुरोध किया. डाॅ अमरेन्द्र ने कहा कि अंगिका केवल भाषा नहीं बल्कि यह सभ्यता और संस्कृति का परिचायक भी है, जो कई भाषाओं को जोड़कर चलती है.
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