-घाटा बताकर पहले भी और तीन कंपनी कर चुकी है सरेंडरवरीय संवाददाता, भागलपुर
बाइपास पर टोल टैक्स वसूल रही कंपनी ने घाटे की बात पर टोल की जिम्मेदारी सरेंडर करने की अर्जी एनएचएआइ को दी है. कंपनी घाटे से ऊबर नहीं पा रही है. इस कारण सरेंडर करने का आवेदन दिया है. कंपनी में महिला और पुरुष मिलाकर 55 कर्मचारी कार्यरत हैं. टोल टैक्स का जिम्मा महिलाओं के भी हाथ में है. ऐसा नहीं है कि यह पहली कंपनी है तो सरेंडर करना चाह रही है. बताया जाता है कि बीते एक साल में और तीन कंपनियों ने सरेंडर कर चुकी है. बार-बार घाटे का सौदा दिखाकर टोल टैक्स कलेक्शन की जिम्मेदारी से पीछे हट रही कंपनियों से परेशान एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने इसकी जिम्मेदारी दिल्ली की सोनू कुमार प्राइवेट लिमिटेड को दी थी. दिल्ली की इस कंपनी ने सबसे पहले भागलपुर बाइपास के टोल टैक्स की जिम्मेदारी तीन वर्ष तक ली थी और टर्म पूरा कर लिया था. इसके बाद बाकी के सरेंडर करने पर यह कंपनी फिर से टेंडर ली थी. अब इस कंपनी ने भी घाटे की बात पर टोल की जिम्मेदारी सरेंडर करने की अर्जी एनएचएआइ को दी है.वर्तमान कंपनी ने 2019 से 2022 तक का टेंडर लिया था
पिछले सात माह में तीन कंपनियों से बाइपास के टोल टैक्स कलेक्शन की जिम्मेदारी के लिए एनएचएआइ ने टेंडर डाला है. एक सितंबर 2023 को टोल टैक्स की जिम्मेदारी लेने वाली नागपुर की केसीसी लिमिटेड ने दो माह में ही 20 नवंबर को घाटा बताते हुए सरेंडर कर दिया था. 21 नवंबर 2023 को राजस्थान की ऋषिराज कंपनी को टोल का टेंडर मिला था. इस कंपनी ने भी तीन माह में ही टोल को सरेंडर कर दिया था. दोनों कंपनियों में प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल चुके एक कर्मी के अनुसार घाटे के कारण ही टेंडर बीच में छोड़ना पड़ता है. अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक मध्यप्रदेश के जबलपुर की कंपनी वंशिका कंस्ट्रक्शन ने एक वर्ष का टेंडर पूरा किया था. वर्तमान में जिम्मेदारी संभाल रही दिल्ली की कंपनी ने 2019 से 2022 तक तीन साल तक टेंडर लिया था. अब इसने भी टोल सरेंडर करने का आवेदन किया है. बताया जाता है कि अब नया टेंडर होगा इसके बाद नयी कंपनी को टोल टैक्स की जिम्मेदारी मिलेगी. तब तक मौजूदा कंपनी ही टोल टैक्स वसूलती रहेगी.
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