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नाटक का मंचन कर कलाकारों ने महिलाओं के साथ भेदभाव पर किया चोट

Artists hurt discrimination against women by staging a play

दुर्गाबाड़ी परिसर में षष्ठी पूजा पर सांस्कृतिक आयोजन का शुभारंभ हुआ. पहले दिन फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. परिधि की ओर से घर-घर, सड़क-सड़क नाटक का मंचन किया गया. कलाकारों ने इस नाटक में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर चोट किया. महिलाओं के साथ जन्म से मृत्यु तक होने वाले भेदभाव को दिखलाया गया.

नाटक में संवाद सीधी तन कर चलती क्यों हो और जोर जोर से हंसती क्यों हो ने दर्शकों को तालियां बजाने को विवश कर दिया. नाटक में बताया कि केवल महिलाओं के सशक्तिकरण से व्यवस्था नहीं बदलेगी, लडकों को संवेदित करना जरूरी है. सामूहिक रचना और राहुल के निर्देशन में तैयार माइम महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा पर केंद्रित था. गर्भ में ही भ्रूण हत्या, जन्म के बाद भेद भाव, स्कूल – कॉलेज में छेड़ छाड़, मानसिक प्रताड़ना, एसिड अटैक, घरेलू हिंसा आदि विषयों को मृदुला सिंह, कुमारी नीलांजना, कृषिका गुप्ता, आकांक्षा राय, सौरभ, तमन्ना राठौर ने अपने अभिनय और ध्वनि प्रभाव द्वारा प्रस्तुत किया. मंच का संचालन निरूपमकांति पाल ने किया. संध्या सत्र में सांस्कृतिक आयोजन का उद्घाटन किया गया. आगोमनी वार्ता प्राप्ति कर्मकार,ओरिमीता, एवं मिताली चटर्जी ने प्रस्तुत किया.

जागो तुमि जागो…

फिर अरुप, जीशु, मधुमिता, रूमा, भारोती, नुपूर सरखेल ने समूह गीत जागो तुमि जागो…प्रस्तुत किया. संपा देवनाथ एवं पायोजा राय ने कविता पाठ किया.

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