दीपक राव, भागलपुर. शिल्पराज विश्वकर्मा की पूजा से ही घर व प्रतिष्ठानों को सजाने, रंग-रोगन व सफाई का काम शुरू हो गया है, जो कि धन की देवी का आवाहन करने वाली दीपावली तक चलेगा. लक्ष्मी पूजा, दीवाली के बाद आस्था का महापर्व छठ शुरू हो जायेगा. लोग अपने-अपने घरों व दुकानों में सफाई, घरों का रंग-रोगन करने में जुट गये हैं. घर के सजाने व रंग-रोगन का सामान बाजार में स्टॉक कर लिया गया है. इतना ही नहीं सड़क किनारे छोटे-छोटे सामान बिक रहे हैं. एक बार फिर स्टेंसिल पेपर का प्रचलन बढ़ गया है. इससे घर की दीवारों पर नयी कलाकृति दिखने लगी है. खासकर प्रकृति से जुड़ी कलाकृति लोगों को भा रही है. लोगों के बीच परिस्थिति के अनुसार गहरे रंग, हल्के रंग व क्रीम कलर की डिमांड बढ़ी है. वास्तु के अनुसार रंग कराने की चाहत कम नहीं है.
लोगों में घरों को सजाने का बढ़ा रूझान, भागलपुर बाजार से होगा 100 करोड़ का कारोबार
दीपावली में खासकर देवी लक्ष्मी की पूजा होती है. देवी लक्ष्मी के स्वागत में घर सजाये जा रहे हैं. बाजार भी इस मामले में पीछे नहीं है. घर सजाने के समान की दुकानों में ग्राहकों की भीड़ बढ़ गयी है. ऐसे में रंग, चूना व अन्य संबंधित सामग्री फेबिकॉल, वॉल पुट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस का चौगुना कारोबार बढ़ गया है. भागलपुर लोहापट्टी में केवल 20 रंग करोबारी हैं, जबकि पूरे शहर में 200 से अधिक रंग कारोबारी हैं. भागलपुर बाजार से दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, बांका, जमालपुर, कोसी क्षेत्र खगड़िया, नवगछिया, बिहपुर आदि क्षेत्रों में रंग का कारोबार होता है.
रंग कारोबारी विकास झुनझुनवाला ने बताया कि भागलपुर बाजार से विश्वकर्मा पूजा से लेकर लक्ष्मी पूजा तक 100 करोड़ का रंग व इससे संबंधित सामान का कारोबार होगा. केवल दुर्गा पूजा से दीवाली तक 40 से 50 करोड़ का कारोबार का अनुमान है. शंभु कुमार ने बताया कि रंग व पेंट का कारोबार विश्वकर्मा पूजा के बाद से ही शुरू होती है और दुर्गा पूजा के बाद कारोबार में तेजी आ जाती है. लोग दुर्गा पूजा के बाद और दीपावली से पहले ही घर का रंग-रोगन करना शुभ मानते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार हरेक रंग-पेंट की कीमत पिछले बार की तरह है. कोई खास महंगाई नहीं है.
स्टेंसिल पेपर से फूल, पत्ति, पौधे, चिड़िया व बटर फ्लाई आदि की प्रतिकृति कर रहे पसंद
शंभु कुमार ने बताया कि अब लोगों को वॉल पेपर की जगह स्टेंसिल पेपर अधिक पसंद आ रहा है. दरअसल वॉल पेपर संभ्रांत लोग लगवाते हैं. इसमें अधिक से अधिक कीमत लगती है, जबकि स्टेंसिल में लोगों को दीवारों पर कलाकृति की चाह कम कीमत में पूरी हो जाती है. एक स्टेंसिल पेपर 100 से 200 रुपये पीस है. एक पीस से कई बार कलाकृति उकेर सकते हैं.
दूसरे रंग कारोबारी ईश्वरचंद्र झुनझुनवाला ने बताया कि घर की बाहरी दीवार के लिए अलग पेंट और अंदर के लिए अलग पेंट आते हैं. अभी इमरसन पेंट का प्रचलन बढ़ा है. वहीं डिस्टेंपर कम लाइफ का होता है. इमरसन पेंट 200 से 450 रुपये लीटर मिल रहे हैं, ताो डिस्टेंपर 60 रुपये किलो. लोगों को गुलाबी, जामुनी के साथ सफेद और क्रीम कलर अधिक पसंद आ रहा है.
दरअसल सफेद व क्रीम कलर आनंददायक होता है उन्होंने यह भी बताया कि वास्तु शास्त्र के मुताबिक रंग कराने की चाह बढ़ी है. उनकी सोच है कि इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है. इसमें कमरों की दिशा के अनुसार रंग का चयन होता है. नीला रंग शांति का प्रतीक होता है. लाल रंग उत्तेजना का पैदा करता है. पूजा घर में अक्सर लोग गुलाबी रंग कराते हैं. इसे भी शांति का प्रतीक माना जाता है.
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रंग व संबंधित सामान | कीमत |
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चूना | 135 रुपये प्रति 10 किलो का बैग |
सेमोसैम | 600 रुपये प्रति 20 किलो का बैग |
पुट्टी | 650 रुपये प्रति 40 किलो का बैग |
ब्रश | 150 रुपये 4 इंच का |
फेबिकॉल | 120 रुपये किलो |
चूना करने का ब्रश | 50 से 60 रुपये पीस |
इमरसन पेंट | 200 से 450 रुपये प्रति लीटर |
डिस्टेंपर | 60 रुपये किलो |