कलश स्थापना के साथ आषाढ़ गुप्त नवरात्र शुरू
शहर के खास दुर्गा स्थानों व पूजा स्थानों में शनिवार को कलश स्थापना के साथ आषाढ़ गुप्त नवरात्र का शुभारंभ हुआ. इस बार 15 जुलाई सोमवार तक 10 महाविद्याओं की साधना होगी.
शहर के खास दुर्गा स्थानों व पूजा स्थानों में शनिवार को कलश स्थापना के साथ आषाढ़ गुप्त नवरात्र का शुभारंभ हुआ. इस बार 15 जुलाई सोमवार तक 10 महाविद्याओं की साधना होगी. मुंदीचक राधा देवी लेन स्थित दुर्गा मंदिर, जिच्छो दुर्गा मंदिर आदि स्थानों पर कलश स्थापना कर पहली पूजा की गयी. जिच्छो दुर्गा मंदिर में पंडित शरत चंद्र मिश्र ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन का शुभारंभ किया. इस दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ हुआ. पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि आषाढ़ गुप्त नवरात्र पर 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है. आषाढ मास में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि इस बार प्रतिपदा छह जुलाई शनिवार से शुरू हो गयी और 15 जुलाई सोमवार तक रहेगी. इस वर्ष नवरात्रि का पर्व 10 दिन मनाया जायेगा. पुराणों की मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गे की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है. वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं. इसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष. अप्रत्यक्ष नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र और आश्विन की महीने में मनायी जाती है और अप्रत्यक्ष यानी कि गुप्त आषाढ़ और माघ मास में मनायी जाती हैं. वहीं, बूढ़ानाथ मंदिर के उप प्रबंधक दीपक सिंह ने बताया कि माघी नवरात्रि में कलश स्थापित की जाती है, जबकि आषाढ़ गुप्त नवरात्र में नहीं. प्रत्यक्ष नवरात्र को लेकर वासंतिक व शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना होती है. गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त साधनाएं करने श्मशान व गुप्त स्थान पर जाते हैं. नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं. आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में जहां वामाचार उपासना की जाती है. वहीं, माघ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गयी है. ग्रंथों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष का भी विशेष महत्व है.
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