Water Scarcity in Bihar: गंगा में आयी बाढ़ के कारण नदी के निकटवर्ती शहरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या गहरा गयी है. इतना ही नहीं कमोबेश पूरे शहर में शुद्ध पानी उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में निम्नवर्गीय लोगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है. मध्यमवर्गीय लोगों को पीने के लिए जार का पानी खरीदना पड़ रहा है.
Water Scarcity in Bihar: निकटवर्ती क्षेत्रों के मोटर पंप से निकल रहा पानी में बदबू
शहर के गंगा किनारे बसे मोहल्ले साहेबगंज, मोहनपुर, सराय, रिकाबगंज, कंपनीबाग, बूढ़ानाथ, सखीचंद घाट, कसबा गोलाघाट, किलाघाट, मानिक सरकार घाट, आदमपुर घाट, बैंक कॉलोनी, कोयलाघाट, कालीघाट, बरारी घाट आदि क्षेत्रों में चापाकल व मोटर पंप के पानी में बदबू निकल रहा है. माेहनपुर के किशोर कुमार ने बताया कि क्षेत्र में हजारों की आबादी है. गंगा का जलस्तर बढ़ने पर चापाकल का पानी गंदा निकलने लगा है. यही पानी उबाल कर पीने को विवश हैं. वहीं रिकाबगंज के सामाजिक कार्यकर्ता अमित सिंह ने बताया कि हर वर्ष गंगा में जलस्तर बढ़ने और विश्वविद्यालय परिसर से निकले हथिया नाला में पानी बढ़ने के साथ ही पानी बदबूदार निकलने लगता है. इसके लिए अधिकतर लोग जार वाला पानी खरीदने को विवश हैं. वहीं दीपनगर झुग्गी बस्ती निवासी मनोज गुप्ता ने बताया कि उनके यहां भी चापाकल से गंदा पानी निकलता है. सभी लोग इससे पानी लेने को विवश हैं.
Water Scarcity in Bihar: जार वाले पानी की बढ़ी बिक्री
शहर में जगह-जगह जलजमाव व गंगा किनारे बसे मोहल्ले में गंदा पानी आने के कारण चापाकल व अन्य स्त्रोत से दूषित पानी आने से जार पानी की बिक्री बढ़ गयी है. पानी कारोबारी राजेश रंजन ने बताया कि शहर में 75 जार पानी के कारोबारी हैं. उनका खुद पहले 150 जार रोजाना बिकता था, अब बढ़ कर 200 जार बिक रहे हैं. पहले ऑर्डर पर जार मिल जाता था. अब जार हर जगह पहुंचाना मुश्किल हो जाता है. इस कारण ग्राहक खुद प्लांट पर आकर ले जाते हैं. शहर में कई ऐसे भी प्लांट वाले हैं, जो 350 से 400 जार रोजाना बेच लेते हैं. कारोबारी की मानें, तो मांग बढ़ने के साथ ही भाव बढ़ गये हैं. पहले जिस जार का दाम 25 रुपये था, वही अब 30 रुपये में बिक रहे हैं.