खानकाह-ए-पीर दमड़िया के सज्जादानशीन सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि त्याग व बलिदान का त्योहार बकरीद है. यह 17 जून को मनाया जायेगा. उम्मत-ए-मोहम्मदिया खुदा के राह में जानवरों की कुर्बानी कर इब्राहिम अलैह सलाम की सुन्नतों को ताजा करेंगे. जिलहिज का माह त्याग व बलिदान के रूप में मनाया जाता है. इस महीने की दसवीं तारीख को ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की जाती है. ईमान वाले जानवरों की कुर्बानी पेश करते हैं. कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलैह सलाम की सुन्नत है. इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक बकरीद का त्योहार जिलहिज की दसवीं तारीख को पूरे दुनिया में मनाया जाता है. जिलहिज अरबी कैलेंडर के अनुसार साल का अंतिम माह है. आपसी सौहार्द के साथ बांटें प्रेम सज्जादानशीन ने कहा कि बकरीद का त्योहार आपसी सौहार्द, प्रेम व दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां बांटने का है. त्योहार की खुशी मनाने में रिश्तेदारों, पड़ोसियों व असहाय लोगों को जरूर शामिल करें. उन्होंने कहा कि कुर्बानी पेश करते हुए यह अजम जरूर करें कि खुदा के हुक्म के मुताबिक कुर्बानी दे रहे हैं. खुदा का जो भी हुक्म होगा. उन तमाम कुर्बानियों को देने के लिए तैयार रहेंगे. कुर्बानियों को इंसानियत व खिदमत-ए-खलक तथा हक व इंसाफ के लिए देने को तैयार हैं.नगर निगम के गाइड लाइन का करें पालन फखरे आलम हसन ने कहा कि कुर्बानी के अवशेष से किसी को कष्ट न पहुंचे. इसका पूरा ख्याल रखने की जरूरत है. नगर निगम द्वारा दिये गये गाइड लाइन का पालन करें. उन्होंने अपने संदेश में कहा कि बकरीद का त्योहार त्याग का त्योहार है. लिहाज ऐसा कोई काम न करें, जिससे किसी दूसरे को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़े.
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