बीएयू ने की पंजीकरण के लिए 26 जीआई की पहचान, दूसरे चरण में 25 की बनी कार्ययोजना
बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की ओर से पंजीकरण के लिए 26 भौगोलिक संकेत (जीआई) की पहचान की गयी. इस ऐतिहासिक पहल के तहत बीएयू के अनुसंधान निदेशालय में जीआई पर 7वीं समीक्षा बैठक हुई.
अनुसंधान निदेशक डॉ अनिल कुमार सिंह ने इस सत्र में 31 चिन्हित जीआई की प्रगति का आकलन किया. बिहार के अद्वितीय कृषि और बागवानी उत्पादों के लिए कानूनी संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए 26 जीआई का रजिस्ट्रेशन किया गया. दूसरे चरण में 25 नये भौगोलिक संकेत (जीआई) पर कार्य योजना बनायी गयी. इसे पंजीकरण के लिए चेन्नई कार्यालय भेजने की कार्यवाही शीघ्र पूरी कर ली जायेगी.
बैठक में सभी जीआई लीडर, नाबार्ड, भागलपुर के जिला विकास प्रबंधक डीडीएम चंदन कुमार और बामेती, पटना के बागवानी उप निदेशक सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया. इन विशेषज्ञों ने क्षेत्रीय उत्पादों को बढ़ावा देने और स्थानीय कृषक समुदायों की आजीविका को बढ़ाने में जीआई की आर्थिक क्षमता पर जोर दिया.डॉ डीआर सिंह ने बिहार के पारंपरिक उत्पादों की विरासत और विशिष्टता की रक्षा में जीआई पंजीकरण के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि जीआई टैग हासिल करने से न केवल हमारे उत्पादों की वैश्विक पहचान बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण समृद्धि और सतत आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा. डॉ एके सिंह ने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ नवाचार और तालमेलपूर्ण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की. प्रस्तावित जीआई की सूची राज्य की समृद्ध कृषि विविधता और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है. इसके साथ ही, उन्होंने स्थानीय किसानों के उत्पादों के लिए बाजारों को और अधिक सुलभ बनाने के उपायों पर भी चर्चा की.
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