हिंदू, हिंदी, हिंदुत्व और हिंदुस्तान के प्रति समर्पित हो जाएं
स्वामी आगमानंद महाराज ने सत्संग के दौरान कहा कि सनातन संस्कृति की रक्षा करें. हिंदू, हिंदी, हिंदुत्व और हिंदुस्तान के प्रति समर्पित हो जाएं.
स्वामी आगमानंद महाराज ने सत्संग के दौरान कहा कि सनातन संस्कृति की रक्षा करें. हिंदू, हिंदी, हिंदुत्व और हिंदुस्तान के प्रति समर्पित हो जाएं. मौके पर दामोदर माह कार्तिक में गणेशपुर में सुंदरकांड का पाठ किया गया. स्वामी जी के सानिध्य में नवगछिया क्षेत्र में एक ही दिन में चार कार्यक्रम आयोजित हुआ. उन्होंने तेलघी काली मंदिर के निर्माण कार्य का जायजा लिया. मां काली की प्राण प्रतिष्ठा की जानकारी ली. प्रतिमाओं के बारे में पूछा. मंदिर समिति के अधिकारियों और विधायक ई शैलेंद्र को कई निर्देश दिये. स्वामी जी ने कहा कि कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन् और कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा. उन्होंने कहा कि कर्म करते हैं, तो सही कर्म करें, ईश्वर को भजें. सत्संग करें. कल्याण होगा, मुक्ति मिलेगी. खरीक प्रखंड के तुलसीपुर काली मंदिर में नौ दिवसीय नवाह परायण उद्धाटन स्वामी जी ने किया. रामलखन चौधरी की दिवंगत पत्नी अहिल्या देवी को श्रद्धांजलि दी गयी. स्वामी जी ने कहा कि रामकथा जीवन जीने की सीख देती है. इन सभी कार्यक्रमों में गीतकार राजकुमार, पंडित ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी, स्वामी शिव प्रेमानंद भाई जी, स्वामी मानवानंद, मनोरंजन प्रसाद सिंह, रामानंद दास, परमानन्द राय, विजय जी, दिलीप शास्त्री, मृत्युंजय कुंवर, दीपक यादुका, सुबोध दा, रंजन जी, पुष्कर केशव, अशोक महाराज, कुंदन, पंडित अनिरुद्ध, भाष्कर, राम बालक, सुबोध, अशोक सिंह, डेजी रानी, सुमन भारद्वाज पुष्पा, चंदन, विवेक जी मौजूद थे. गीतकार राजकुमार ने आगमानंद की जय-जय बोल, गीत गाकर सभी को गुरुभक्ति में लीन करवा दिया.
शीतला मंदिर में जगद्गुरुकुलम् का शुभारंभ
शीतला मंदिर परिसर पकड़तल्ला में ज्योतिर्मठ के वर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने ब्रह्मलीन सद्गुरुदेव की इच्छा से बिहार भागलपुर के कहलगांव में माता शीतला देवी मंदिर परिसर में जगद्गुरुकुलम् का शुभारंभ किया. काशी से काण्व शाखा के आचार्य पं शिवाकांत मिश्र, पं आशुतोष की उपस्थिति में शंकराचार्य के शिष्य रामानंद सिंह व उनकी पत्नी मंजूबाला सिंह ने दीप प्रज्वलित कर गुरुकुलम् का उद्घाटन किया. अथर्ववेद के विद्धान आचार्य पंडित अरुण ओझा के संचालन में 12 छात्रों से गुरुकुल का शुभारंभ हुआ. संचालक ने बताया कि 8-12 वर्ष के बच्चों का इसमें नामांकन होता है. गुरुकुलम् का उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना है. वेद अनादि है और इसी में संसार का समस्त ज्ञान है. व्यक्ति वेद का सांगोपांग अध्ययन कर ले, तो इससे उसका सर्वांगीण अध्ययन हो जाता है. गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का सपना है कि सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर बच्चों में संस्कार के साथ भारतीय भेष-भूषा को एक बार पुन: प्रचारित करना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है