IRCTC: कोरोना से ट्रेनों की एसी बोगियों के सफर में यात्रा के दौरान बेडरोल की व्यवस्था पर दो साल से लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया है, लेकिन यह व्यवस्था अभी ट्रेनों में बहाल नहीं हो सकी है. ट्रेनों के बंद रहने और दो साल से बेडरोल की व्यवस्था प्रतिबंधित होने से भागलपुर रेलवे का करीब 35 हजार पुरानी चादर व तकिया का कवर बर्बाद हो गया है. रेलवे पुराने हो चुके चादरों और कंबल को बदलकर उनकी जगह नयी की खरीदारी करने की तैयारी कर रहा है.
बेडरोल की खरीदारी और टेंडर की प्रक्रिया हेड क्वार्टर स्तर से अपनायी जा रही है. रेलवे अधिकारी के अनुसार लिलुआ डिपो इस्टर्न रेलवे के ट्रेनों के लिए नये बोडरोल खरीदता है और उसकी व्यवस्था करता है. इस माह के अंत से ट्रेनों में बेडरोल की व्यवस्था(Bedroll In Train) शुरू होगी. यात्रियों को अपना बेडशीट, कंबल, तकिया वगैरह लेकर सफर करना पड़ रहा था. अब फिर से यह सारी सुविधाएं ट्रेन में ही मिल जायेगी.
पुराने कंबल को छांट कर इसे पुन: इस्तेमाल में लाया जायेगा. रेलवे अधिकारी के अनुसार कंबल चार साल तक चलता है. कोरोना से पहले खरीदा गया कंबल अभी इस्तेमाल करने के लायक है. इससे पहले जो खरीद हुआ है, उसे नये कंबल से बदला जायेगा.
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ट्रेनों की एसी बोगियों के सफर में यात्रा के दौरान 3000 बेडरोल पैकेट एक दिन का रिक्वायरमेंट है. इसमें दो चादर, एक तकिया कवर, एक हैंड टावल, एक तकिया व एक कंबल रहता है. हर चौथे दिन धुलाई के लिए ट्रेन से उतरता है. चार दिनों का रिक्वायरमेंट 12000 बेडरोल पैकेट का रहता है और इसके अलावा 6000 पैकेट विशेष रूप से व्यवस्था कर रखी जाती है.
पिछले दो साल से बेडरोल की धुलाई करने वाली रेलवे की मैकेनाइज्ड लांड्री बंद पड़ी है. केवल, इसको चालू कर खराब होने से बचाव किया जा रहा है. मशीन में थोड़े-बहुत कपड़ों की धुलाई हो रही है. बेडरोल की व्यवस्था शुरू होने के बाद कंबल, तकिया, चादर और कवर के साथ पर्दे की धुलाई हो सकेगी.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan