Durga Puja : भागलपुर के 150 साल पुराने कर्णगढ़ मेले पर ग्रहण, दुकानदारों और जनता में आक्रोश
Durga Puja : दुर्गा पूजा पर भागलपुर में लगने वाले प्रमुख मेलों में से एक कर्णगढ़ मेले को अ तक अनुमति नहीं मिल पाई है. जिससे स्थानीय लोग और दुकानदार आक्रोशित हैं.
Durga Puja : भागलपुर के नाथनगर में दुर्गा पूजा के दौरान जिले के प्रमुख मेलों में शुमार कर्णगढ़ मेले के आयोजन पर ग्रहण लगता जा रहा है. यहां करीब 150 वर्षों से मेला लगता आ रहा है. लेकिन इस बार मेला लगाने की अनुमति सदर एसडीओ से अब तक नहीं मिली है. मेला समिति के महासचिव दिलीप भगत ने बताया कि नगर प्रशासन मेला लगाने से रोक रहा है. प्रशासन ने कहा है कि सिर्फ रावण दहन की अनुमति मिलेगी. इससे न सिर्फ मेला समिति बल्कि स्थानीय लोगों में भी रोष है.
डीएम और एसएसपी करते हैं रावण दहन
कमेटी के लोग अनुमति के लिए डीसी, एसएसपी से बात कर रहे हैं. गौर हो कि यहां डीएम व एसएसपी रावण दहन करते हैं. जिसे देखने के लिए हजारों लोग जुटते हैं. दिलीप भगत बताते हैं कि अनुमति नहीं मिली तो डीसी से विधिवत शिकायत की जाएगी.
रावण दहन के लिए सिमटी जगह
रामलीला कमेटी के सदस्यों ने बताया कि बहुत पहले पूरे ग्राउंड में मेला लगता था. बाद में मेला लगाने के लिए सौ फीट जगह दी जाने लगी. इस बार रावण दहन के नाम पर महज 50 फीट जगह देने की बात कही जा रही है. कमेटी के सदस्यों ने कहा कि इतनी कम जगह में भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो जायेगा. दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
गरीबों का हक मार रहा प्रशासन
नागरिक संघ के प्रमोद सिन्हा ने बताया कि मेला मात्र दो दिन के लिए लगता है. आसपास के दुकानदार खुद मेला में दुकान सजाते हैं. कमेटी किसी को न तो दुकान लगाने के लिए प्रेरित करता है और न ही मना कर सकता है. इससे छोटे दुकानदारों की कमाई होती है. मेला पर रोक लगाकर प्रशासन ऐसे दुकानदारों का हक मार रहा है.
मेला के बाद सफाई नहीं होने से सिटीएस प्रशासन नाराज
बताया जाता है कि मेला के बाद मैदान पर गंदगी फैल जाती है. कोई सफाई नहीं कराता है. इससे सीटीएस प्रशासन नाराज रहता है. सिटीएस प्रशासन ने सदर एसडीओ को मेला नहीं लगने देने का कारण सहित चिट्ठी भेजी है. एसडीओ ने सीओ को वस्तुस्थिति की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए सीओ के लिए कहा था. हालांकि स्थानीय स्तर पर कोई भी अधिकारी खुलकर इस मामले मे बोलने से बच रहे हैं.
मेला के संबंध में हर बिंदु की जानकारी सदर एसडीओ को चिट्ठी के माध्यम से भेजी गई है. विधि व्यवस्था को देखते हुए क्या-क्या होना चाहिए, इसका जिक्र किया है. जल्द ही पता चल जाएगा कि अनुमति मिलती है या नहीं.
रजनीश कुमार, सीओ,नाथनगर
रिपोर्टर से…आपको इस संबंध में कुछ भी नहीं बताएंगे, आप एसडीओ से बात कीजिए. मेला की अनुमति वो लोग देते हैं कि हम देते हैं.
रवीश कुमार, सिटीएस प्रिंसिपल
क्या कहते हैं प्रबुद्ध लोग
डेढ सौ सालों से कर्णगढ़ में मेला लगते रहा है. इलाके के गरीब दुकानदार थोड़ा बहुत कमाते हैं. जिससे उनलोगों को बड़ी राहत मिलती है. इस पर रोक उचित नहीं है.
देवाशीष बनर्जी, बंगालीटोला,
कर्णगढ़ भागलपुर के प्रसिद्ध मेले में से एक है. हमलोग पिताजी के कंधे पर बैठकर मेला देखते थे.अगर मेला नहीं लगेगा तो हमलोग इसके लिए कड़ी लड़ाई लड़ेंगे. कड़ा विरोध होगा.
आशीष कुमार सिंह,नसरतखानी
जिस जगह पर मेला लगता है वो पीडब्ल्यूडी का जमीन है. सिटीएस जबरन कब्जा जमाए है. पूर्व में मामला हाई कोर्ट भी जा चुका है. सिटीएस प्रशासन बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है. यह मेला नाथनगर ही नहीं भागलपुर का धरोहर है.
प्रमोद सिन्हा, पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष
ब्रिटिश शासनकाल में भी इस मेला पर कभी रोक नहीं लगी थी. स्वतंत्र भारत में मेला पर रोक दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछले कुछ सालों से प्रशासन द्वारा लगातार मेला लगाने पर दिक्कत किया जा रहा है. मेला भारत का लोक उत्सव है और मेला लगना बहुत जरूरी है. मेले में जाकर लोग अपने मन के विकार को भूलते है तथा ताजगी महसूस करते हैं.
राजेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार सह इतिहासकार
हमलोग बचपन से कर्णगढ़ का मेला देखते आ रहे हैं. एक- दूसरे से मिलते हैं. पुराने गिले-शिकवे को भुलाने के साथ ही नया संबंध स्थापित करते हैं. हर हाल में यह आयोजन होना चाहिए.
रुद्रनारायण उपाध्याय, चंपानगर
गोलदारपट्टी में रामलीला व कर्णगढ़ में मेला का आयोजन वर्षों से हो रहा है. पिछले कुछ सालों मे सिटीएस प्रिंसिपल द्वारा मेला लगाने से रोका जा रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे मेला स्थल कुछ अधिकारी कि निजी जमीन हो. कभी कम जमीन देना,कभी मेला नहीं लगने देना, यह सब ठीक नहीं है.
रविंद्र भगत, रामलीला कमीटी संरक्षक सह प्रबुद्ध