भागलपुर में कोरोना विकराल रूप धारण कर चुका है. मायागंज अस्पताल में बेड कम पड़ गये हैं. हालत यह है कि एक पूर्व विधायक को पैरवी के बाद बेड मिल सका. इतना ही नहीं, डॉक्टरों की कमी के कारण चिकित्सा व्यवस्था संभालने में भी परेशानी हो रही है. इसके कारण रोज मरीजों के परिजन हंगामा करते हैं और इलाज में लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. कई डॉक्टर भी कोरोना की चपेट में आ गये हैं. इसके कारण स्थिति और भयावह हो गयी है. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा रहा है कि एचओडी मेडिसिन ने अपने हाथ खड़े कर दिये और अधीक्षक से मांग की कि वे अन्य विभाग के डॉक्टरों की कोरोना की ड्यूटी पहले की तरह लगाएं. इसी बीच अस्पताल अधीक्षक डॉ असीम कुमार दास ने पीपीई किट पहनकर अस्पताल के आइसीयू व आइसोलेशन वार्ड का जायजा लिया, वहीं मरीजों का हालचाल भी पूछा.
दरअसल, आइसोलेशन वार्ड में 100 बेड अब पूरी तरह से भर चुके हैं. गुरुवार को यहां पर 92 मरीज भर्ती हुए. अस्पताल के आइसीयू व गायनी वार्ड के 40 में से 36 वार्ड भर चुके हैं. मेडिसीन इंडोर वार्ड के 110 बेड कोरोना मरीजों के सुरक्षित रखे गये हैं. इस वार्ड में भी दो दर्जन मरीज भर्ती हो चुके हैं. यहां तक की अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों को अपने रिश्तेदारों के इलाज में दिक्कत हो रही है.
कोविड संक्रमित हुए पीरपैंती के पूर्व विधायक अमन पासवान को एक डॉक्टर से पैरवी करानी पड़ी, तब बेड मिला. उनका आइसीयू में इलाज चल रहा है. आइसोलेशन वार्ड में भर्ती 30 से ज्यादा ऐसे मरीज हैं, जिन्हें तत्काल आईसीयू की जरुरत है. मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के भरोसे ही आईसीयू, एमसीएच कोरोना आइसोलेशन वार्ड, मेडिसिन विभाग में बने नये कोरोना वार्ड में भर्ती कोरोना संक्रमितों के इलाज की जिम्मेदारी है.
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इसके साथ ही इमरजेंसी, ओपीडी, डायलिसिस व आई-इएनटी विभाग में बने 50 बेड के नये मेडिसिन विभाग में भर्ती मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी है. इन सबको बेहतर ढंग से चलाने के लिए करीब 60 से 70 और डॉक्टरों की जरूरत है. मेडिसिन विभाग में नौ सीनियर रेजिडेंट, दो असिस्टेंट प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर से लेकर प्रोफेसर और पीजी के 27 में से 18 पीजी डॉक्टर को मिलाकर 31 डॉक्टर ही कोरोना के इलाज के लिए उपलब्ध हैं. इसके अलावा जो बचे हैं वे 60 प्लस के साथ-साथ विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं या फिर कोरोना का शिकार होकर इलाज करवा रहे हैं.
इधर, बेड फुल होने के कारण मरीजों को बेड खाली होने का इंतजार रहता है. खासकर मरीजों की मौत के बाद बेड को सेनेटाइज कर यहां पर नये मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. हालांकि इस प्रक्रिया में काफी देरी हो रही है.
Posted By: Thakur Shaktilochan