प्रभात खबर इम्पैक्ट: भागलपुर के जमुनिया नदी में मलबा फेंकने के मामले में डीएम ने कार्रवाई का दिया निर्देश
प्रभात खबर ने भागलपुर की जमुनिया नदी की दुर्दशा के बारे में प्रमुखता से खबर छापा था. सड़क कटाई का मलवा नदी किनारे जमा किया जा रहा है. इस खबर को भागलपुर के डीएम ने संज्ञान लिया है.
भागलपुर शहर स्थित माणिक सरकार घाट के दूसरे पार (दियारा की तरफ) जाकर जमुनिया नदी के ठीक किनारे पर कंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़े गिराने के मामले में जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने संज्ञान लिया. उन्होंने इस मामले की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश नगर आयुक्त को दिया है.
ट्रेलर से गिराये जा रहे सड़कों के मलबेडीएम ने नदी में इस तरह के कृत्य को काफी गंभीर माना है. माणिक सरकार घाट पर नदी के ठीक किनारे पर कंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़ों व मलबों को गिराये जाने लगे. स्थानीय कुछ लोगों का कहना था कि शहर में बुडको द्वारा एजेंसी से कराये जा रहे जलापूर्ति काम को लेकर काटी जा रही सड़कों के मलबे ट्रेलर से गिराये जा रहे हैं. सारे मलबे माणिक सरकार घाट को पार कर दियारा की तरफ से नदी किनारे फेंके जा रहे हैं.
पहली वजह :
नदी में या नदी के किनारे इस तरह के कोई भी काम करने पर प्रतिबंध है, जिससे पर्यावरण प्रभावित हो. इस वजह से एनजीटी के आदेश पर नदी में प्रतिमाओं के विसर्जन तक पर रोक लगी हुई है. एनजीटी के आदेश का अनुपालन करने के लिए जिला प्रशासन ने नदी के विभिन्न घाटों पर अस्थायी तालाब का निर्माण करा रखा है, जिसमें समय-समय पर प्रतिमा विसर्जन किया जाता है.
दूसरी वजह :सुलतानगंज से कहलगांव तक गंगा नदी के 50 किमी क्षेत्र में गांगेय डॉल्फिन पाया जाता है. यह एशिया का एकमात्र गांगेय डॉल्फिन अभ्यारण्य है. यहां गंगा व इसकी सहायक नदियों व इसके घाटों पर ऐसे कोई भी निर्माण, गतिविधि करने से पहले अनुमति लेना जरूरी है, जिससे कि डॉल्फिन आहत हो. इसी कारण हाल में बरारी पुल घाट पर स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर वन विभाग रोक लगा दी थी.
Also Read: Bihar: भागलपुर में बन रहे सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल का 30 करोड़ लौटा, फंड नहीं होने से काम हो रहा प्रभावित जमुनिया नदी की स्थिति ठीक नहींभागलपुर शहर के किनारे से आम दिनों में जमुनिया नदी बहती रहती है. यह नदी गंगा के समानांतर बहती है. इस नदी का पानी उपयोग लायक नहीं है. यहां तक कि कपड़े धोने लायक भी नहीं. वजह यह है कि इसी नदी में शहर के सभी नालों का पानी जाता रहता है. इस कारण नदी का पानी काला ही रहता है. बरसात के महीने में जब जलस्तर बढ़ने पर गंगा आकर जमुनिया से मिल जाती है, तब इसकी स्थिति ठीक लगती है. ऐसे में जमुनिया नदी को भरने की कोशिश पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं मानते हैं पर्यावरणविद.
डीएम बोलेयह गंभीर बात है कि जमुनिया नदी किनारे कंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़े गिराये जाते हैं. नगर आयुक्त से इस मामले की जांच करायी जायेगी और कार्रवाई की जायेगी.
सुब्रत कुमार सेन, डीएम, भागलपुर
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Posted By: Thakur Shaktilochan