वैचारिक चिंतन में बिहार ने देश का नेतृत्व किया
स्मारिका व कई पुस्तकों का हुआ विमोचन
अधिवेशन की स्मारिका व दार्शनिक अनुगूंज पत्रिका का विमोचन किया गया. पत्रिका के संपादक डॉ नीरज प्रकाश हैं. लोकार्पण के बाद डॉ श्यामल किशोर की पुस्तक ””””निगमन तर्क शास्त्र””””, मारवाड़ी कॉलेज की दर्शनशास्त्र विभाग की हेड डॉ स्वास्तिक दास की पुस्तक ””””विज्ञान दर्शन विमर्श””””, जीडी विमेंस कॉलेज के प्राचार्य और दर्शन परिषद् बिहार की कोषाध्यक्ष डॉ वीणा कुमारी की पुस्तक ””””सामाजिक न्याय और शिक्षा”””” समेत विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के डॉ राहुल कुमार की पुस्तक ””””एमके गांधी : दि प्रोफेट ऑफ सस्टेनिबिलिटी का लोकार्पण हुआ. डॉ राहुल कुमार की पुस्तक की भूमिका भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आरएस दुबे ने लिखी है.———————-
प्रो केदारनाथ को लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्डबिहार दर्शन परिषद के महासचिव डॉ श्यामल किशोर ने कहा कि परिषद के 32वां अधिवेशन भागलपुर के एसएम काॅलेज में हुआ था. परिषद अब अमृत महोत्सव के आयोजन पर योजना बनायेगा. बताया कि परिषद के द्वारा प्रत्येक वर्ष दार्शनिक प्रतिभा के धनी विद्वान को ””””लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड”””” दिया जाता है. वर्ष 2024 के लिए यह सम्मान टीएमबीयू के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो केदारनाथ तिवारी व सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का पुरस्कार प्रो नीलिमा की पुस्तक को मिला. डॉ सुधांशु शेखर को उनकी पुस्तक ””गांधी, अम्बेडकर और मानवधिकार”” के लिए रवींद्र शांति पुरस्कार मिला.
—————-हमारी संस्कृति में नारी और प्रकृति को लेकर व्यापक चिंतन है
आइसीपीआर नयी दिल्ली के सदस्य सचिव व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो सच्चिदानंद मिश्र ने कहा कि किसी भी समाज की प्रगति को जानने का एक अच्छा मानक यह है कि उस समाज में स्त्रियों की भूमिका क्या है. भारत ऐसा देश है जहां स्त्री में भी देवत्व की कल्पना की गयी. बिहार विधान परिषद के सदस्य माननीय डॉ संजीव सिंह ने कहा कि हमारी संस्कृति में नारी और प्रकृति को लेकर व्यापक चिंतन है. धरती को माता, चन्द्रमा को मामा व सूर्य को साक्षात देवता की तरह पूजा जाता है.———————
नारी के शोषण की खबरें चिंता का विषयटीएमबीयू के कुलपति प्रो जवाहर लाल ने कहा कि अधिवेशन का विषय प्रासंगिक है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप है. नारी और प्रकृति दोनों में साम्य है. नारी और प्रकृति दोनों ही सृजन करती है. नारी भी अपनी प्रकृति में सहनशील होती है. माता व प्रकृति जीवों में भेदभाव नहीं करती है. मैंने शिक्षक दिवस के सम्मान के अवसर पर कहा कि शिक्षक के साथ उनकी माता का भी सम्मान होना चाहिये. वैदिक काल में ही नारी को देवी बताया गया है. आज स्वतंत्र भारत में भी प्रतिदिन नारी के शोषण की खबरें समाचार पत्र में भरी रहती हैं. तीन दिन के अधिवेशन में इस पर विचार किया जाना चाहिये.
देशभर से आये विद्वानों का संबोधन अधिवेशन के सभापति व एलएनएमयू के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो अमरनाथ झा, मुंगेर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रति-कुलपति प्रो कुसुम कुमारी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रो कृपा शंकर और पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो आरसी सिन्हा ने संबोधित किया. अधिवेशन में बिहार समेत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से आये शोधार्थियों और विद्वानों ने भाग लिया. तकनीकी सत्र में विद्वान अतिथियों ने ””””भारतीय ज्ञान परम्परा”””” विषय पर अपनी-अपनी राय रखी. इस सत्र की अध्यक्षता प्रो कुसुम कुमारी और समन्वय डॉ महेश्वर मिश्र थे. डॉ अरुण मिश्र, डॉ मिहिर मोहन मिश्र ””””सुमन””””, डॉ रमेश विश्वकर्मा, डॉ चन्दन कुमार, डॉ मनीष कुमार चौधरी, डॉ दिवाकर कुमार पाण्डेय ने वक्तव्य दिया. शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कॉलेज के प्राचार्य प्रो शिव प्रसाद यादव, आयोजन सचिव व कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग की डॉ प्रज्ञा राय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन टीएनबी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो मनोज कुमार ने किया. धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो एसडी झा ने किया. ऋषिका ने सिद्धि विनायक गणेश की वन्दना पर नृत्य प्रस्तुति दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है