बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने मंगलवार को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से पर्यावरणविदों के लिए आयोजित संगोष्ठी को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में भागलपुर से डीएफओ श्वेता कुमारी समेत अन्य पर्यावरणविद शामिल हुए. मंत्री ने पर्यावरणविदों द्वारा किये जा रहे प्रयासों व सुझाव के संबंध में विचार विमर्श किया. पर्यावरणविदों ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए उनके स्तर से विभागीय योजनाओं का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. योजनाओं से लोग लाभान्वित हो रहे हैं. संगोष्ठी में पौधरोपण, जिले के मृदा जलवायु के अनुसार उपयुक्त प्रजाति के पौधों का रोपण, हरित ईको टूरिज्म, ग्रीन क्रेडिट, कार्बन फुटप्रिन्ट, सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, आर्द्र भूमि जैव विविधता, पक्षी एवं वन्य जीव संरक्षण, आश्रयणी प्रबंधन, अवैध खनन, शिकार, नदी के संरक्षण एवं उसे प्रदूषण मुक्त करने के संबंध में जिला स्तर से विद्यालय के शिक्षक, महाविद्यालय के प्राध्यापक, वन्य जीव हितैषी, पक्षी संरक्षक एवं अन्य पर्यावरणविदों के द्वारा सुझाव दिया गया. मंत्री ने कहा कि बिहार विभाजन के समय मात्र सात प्रतिशत हरित आवरण था, जो वर्तमान में 15 प्रतिशत है. जिसे वर्ष 2028 तक 17 प्रतिशत तक विस्तारित करने की योजना है. जिस घर–आंगन के पास 10 पेड़ लगे होते हैं वहां के लोगों की औसत आयु सात वर्ष अधिक हो जाती है. हमें बरगद,पीपल और नीम के पेड़ अधिक से अधिक लगाने चाहिए जो हमें सर्वाधिक आक्सीजन देते हैं. मंत्री ने कहा कि प्रत्येक जिले में पौधारोपण किया जा रहा है.
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