जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के बुधवार को राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत लैब टेक्नीशियन काे प्रशिक्षण दिया गया. कार्यक्रम में भागलपुर से 17 व मुंगेर से 10 लैब टेक्नीशियन ने भाग लिया. प्रशिक्षण सत्र में फाइलेरिया रोगियों की पहचान के लिए नाइट ब्लड सर्वे की विधि बतायी गयी. प्रशिक्षण सत्र में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ अमित कुमार, डॉ आशुतोष कुमार, जिला के वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दीनानाथ शामिल हुए. पिरामल फाउंडेशन से जिला पदाधिकारी राकेश कुमार, विजय कुमार, कोमल साहू, नीरज कुमार एवं लिपरा द्वारा ट्रेनिंग में सहयोग दिया गया. 17 अक्तूबर को बांका एवं जमुई के लैब टेक्नीशियन की ट्रेनिंग होगी. डॉक्टर दीनानाथ ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे की गुणवत्ता में कोई कमी न आये. सर्वे रात साढ़े आठ बजे के बाद ही शुरू किया जायेगा. पॉजिटिव मरीजों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार एल्बेंडाजोल व डीइसी की गोली खिलवाना सुनिश्चित करें.
फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय : पिरामल फाउंडेशन से राकेश कुमार ने कहा कि फाइलेरिया मरीजों का पता लगाने के लिहाज से सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है. शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं. इसलिए नाइट ब्लड सर्वे होता है. चयनित प्रखंड में दो सत्र में 300-300 लोगों के रक्त के नमूने का संग्रह किया जायेगा. यह सर्वे में रात 8:30 के बाद 20 वर्ष से ऊपर उम्र के लोगों का रक्त का नमूना लिया जायेगा. दोनों सत्र स्थल में से किसी एक स्थल में माइक्रो फाइलेरिया का दर एक या एक से अधिक होगा तो उस प्रखंड में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जायेगा. फरवरी में एमडीए राउंड चला कर घर-घर जाकर दवा खिलायी जायेगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है