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सेमापुर घाट के बहुरेंगे दिन, पीएमओ ने विकास की मांग को स्वीकारा

सेमापुर घाट के बहुरेंगे दिन, पीएमओ ने विकास की मांग को स्वीकारा

– चंपानगर निवासी कपिलदेव प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री व अन्य को लिखा था पत्र – नाथनगर के चंपानगर स्थित सेमापुर घाट को विकसित करने की आस अब जगने लगी है. इस ऐतिहासिक घाट के विकास की मांग को लेकर चंपानगर निवासी कपिलदेव प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. आवेदन को प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्वीकृत कर लिया है. अब प्रधानमंत्री कार्यालय से घाट के विकास का प्रस्ताव तैयार करने के लिए बिहार सरकार को जल्द निर्देश दिया जायेगा. कपिलदेव प्रसाद ने बताया कि मांग पत्र को प्रधानमंत्री के अलावा गृहमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री समेत स्थानीय नगर निगम प्रशासन के पास भेजा गया था. गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकार से संपर्क कर आवेदन पर काम शुरू करने का आश्वासन फोन के माध्यम से दिया है. महासती बिहुला व मंजूषा से जुड़ा है सेमापुर घाट का इतिहास : अंग महाजनपद की राजधानी चंपा का वर्तमान स्वरूप नाथनगर का चंपानगर है. यहां बहने वाली चंपा नदी के किनारे सेमापुर घाट अंग क्षेत्र का धरोहर है, इसे बचाने की जरूरत है. सदियों पहले चंपा के विश्व प्रसिद्ध सिल्क व्यापारी चंद्रधर सौदागर सेमापुर घाट का छोटे बंदरगाह के रूप में प्रयोग करते थे. यहां से देश व दुनिया में सिल्क कपड़े को नाव व जहाज के माध्यम से निर्यात करते थे. चंद्रधर के बेटे बाला के शव के साथ मंजूषा में बैठकर महासती बिहुला सेमापुर घाट से ही स्वर्ग की ओर प्रस्थान की थी. लिखित साक्ष्य के अनुसार सेमापुर घाट पर मां विषहरी की प्रतिमा विसर्जन के लिए 1632 इस्वीं में तत्कालीन शासन से आदेश मिला था. भगवान वासुपूज्य की जीवनी से जुड़ा है सेमापुर घाट : सेमापुर घाट के पास जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का मंदिर है. सेमापुर घाट से भगवान वासुपूज्य की जीवनी जुड़ी है. जैन संप्रदाय के अनुयायी देशभर से यहां सालों भर हजारों की संख्या में आते हैं. लेकिन मंदिर के निकट सेमापुर घाट की हालत देखकर काफी निराश होते हैं. सेमापुर के सामने प्राचीन भगवान जगन्नाथ का मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना एक हजार साल पहले रामानंद संप्रदाय के साधु संन्यासियों ने किया था.

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