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मरीजों के चिट्ठे पर डॉक्टर धड़ल्ले से लिख रहे ब्रांडेड दवाओं के नाम,मरीजों के खर्च हो रहे पैसे

मरीजों के चिट्ठे पर डॉक्टर धड़ल्ले से लिख रहे ब्रांडेड दवाओं के नाम, मरीजों के खर्च हो रहे पैसे

प्रभात खबर पड़ताल

– मायागंज अस्पताल में कमीशन का चक्कर, मरीजों की पर्ची पर सरकारी दवा की बजाय बाहरी दवा का नाम लिख रहे

वरीय संवाददाता, भागलपुर

मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीजों को कुछ दवाएं अस्पताल के काउंटर पर नि:शुल्क मिल रहा है. वहीं चिट्ठे पर लिखे कुछ दवाइयों को पैसे खर्च कर बाहरी दुकान पर खरीदना पड़ रहा है. जबकि ओपीडी के नि:शुल्क दवा काउंटर के पास चिपके हुए मई 2024 की दवा सूची में 48 तरह की दवाइयों के नाम लिखे थे. ऐसे में गरीब मरीजों को दवा खरीदने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. मायागंज अस्पताल के नि:शुल्क दवा काउंटर पर मरीजों की कम भीड़ दिखती है. वहीं पैसे खर्च कर दवा खरीदने के लिए मरीजों की संख्या प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र समेत अस्पताल के बाहर आधा दर्जन से अधिक निजी दवा दुकानों के सामने अधिक दिखती है. मरीजों का कहना है कि पैसे नहीं रहने के कारण हम निजी क्लिनिक को छोड़कर मायागंज अस्पताल में नि:शुल्क इलाज कराने आते हैं. दूर-दराज से आने जाने में भाड़ा किराया के नाम पर पैसे खर्च हो जाते हैं. वहीं मायागंज अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने के बाद अगर दवा को खरीदना पड़े, इससे बेहतर होता कि गांव के किसी झोलाछाप डॉक्टर से ही इलाज करा लेते. यहां आने का कोई फायदा नहीं मिलता है. मरीजों का आरोप है कि दवा दुकानों से कमीशन के चक्कर मे बाहरी दवाइयां लिखी जा रही है. सरकार इस धांधली पर लगाम लगाने में फेल हो रही है. मरीजों के जानकार व पढ़े लिखे परिजनों का कहना है कि अस्पताल में मौजूद सरकारी दवाइयों की बजाय डॉक्टर धड़ल्ले से ब्रांडेड दवाइयां लिख रहे हैं. चिट्ठे पर दवा के कंपोजिशन की बजाय सीधे बड़ी कंपनियों की दवाइयों के नाम लिखना नियम के खिलाफ है.

केस वन : फोटो ब्यूटी कुमारी

मायागंज अस्पताल में असरगंज से इलाज कराने आयी ब्यूटी कुमारी ने बताया कि उनके हाथ में तेज दर्द है. डॉक्टर ने चिट्ठे पर छह दवाइयां लिखीं. इनमें से चार दवा अस्पताल के काउंटर पर नि:शुल्क मिला. जबकि दो दवा ओरासियम व सैचमैक्स गोल्ड दवा बाहर से खरीदने को कहा गया.

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केस टू : मुनिलाल शर्मा

मायागंज अस्पताल में धांधी बेलारी से इलाज कराने आये वृद्ध मुनिलाल शर्मा ने बताया कि उनके कब्ज की शिकायत है. डॉक्टर ने चिट्ठे पर तीन दवा लिखी. इसमें से सिर्फ गैस की दवा सरकारी काउंटर पर मिला. जबकि दो दवा वोकोलेक्ट व डायसाइक्लोमाइन दवा नहीं मिला.

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केस थ्री : फोटो गुलअफशा निगार

मायागंज अस्पताल में चकबीर बांका से इलाज कराने आयी महिला गर्भवती गुलअफशा निगार ने बताया कि उनके पेट में दर्द है. डॉक्टर ने चिट्ठा पर चार दवा लिखी है. इनमें से दो दवा सरकारी काउंटर पर मिला. जबकि पेट दर्द समेत एक अन्य दवा नहीं मिली.

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केस फोर : फोटो मौसम

मायागंज अस्पताल में आदमपुर से स्किन का इलाज कराने आये मौसम ने बताया कि डॉक्टर ने चिट्ठे पर पांच दवा का नाम लिखा. इनमें से तीन दवा सरकारी काउंटर पर मिला. शेष दो दवा कीटो लोशन व फ्लूकोनाजोल दवा बाहर के दुकान से 328 रुपये देकर खरीदा है.

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वर्जन

– ओपीडी में मरीजों के इलाज के लिए सभी दवाएं उपलब्ध हैं. किस कारणों से बाहरी दवा लिखी जा रही है, इसका पता लगाया जायेगा. साथ ही दवा की सूची मंगवाकर मामले की जांच की जायेगी.

डॉ राकेश कुमार, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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