15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

छोटे बच्चों की मौत का मुख्य कारण निमोनिया, टीकाकरण जरूर करायें

छोटे बच्चों की मौत का मुख्य कारण निमोनिया, टीकाकरण जरूर करायें

विश्व निमाेनिया दिवस पर खास

– बदलते मौसम व प्रदूषण के कारण बैक्टिरिया व वायरल इफेक्ट से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है

गौतम वेदपाणि, भागलपुर

बदलते मौसम व वायु प्रदूषण के कारण इस समय हर उम्र के लोग श्वसन तंत्र व फेफड़े की एलर्जी से पीड़ित हो रहे हैं. वायरस व बैक्टिरिया के असर से खासकर पांच वर्ष तक के छोटे बच्चे फेफड़े के इंफेक्शन यानी निमोनिया से पीड़ित हो जाते हैं. समय पर उपचार नहीं होने के कारण निमोनिया से बच्चों की मौत तक हो जाती है. जेएलएनएमसीएच के चेस्ट एंड टीबी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ शांतनु घोष बताते हैं कि छोटे बच्चों का रेसपाइरेटरी ट्रैक भी छोटा होता है. ऐसे में इंफेक्शन तुरंत फेफड़े तक पहुंच जाता है. ऐसी स्थिति में इलाज में कोई कोताही नहीं बरतनी है. तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना है. वहीं जेएलएनएमसीएच के शिशुरोग विभाग के पूर्व एचओडी डॉ आरके सिन्हा ने बताया कि शिशु मृत्यु दर के पांच कारणों में एक निमोनिया है. बच्चों में डायरिया के बाद सबसे अधिक मौत का कारण निमोनिया है. डॉक्टरों ने बताया कि कुपोषण व शारीरिक कमजोरी के कारण निमोनिया होता है. जन्म से 12 वर्ष तक के किसी भी बच्चे को निमोनिया हो सकता है. वहीं 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को निमोनिया का खतरा रहता है. बीमार व कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले सीनियर सिटीजन को यह बीमारी हो जाती है.

बच्चों में कैसे करें पहचान : बच्चों की उम्र के हिसाब से अगर सांस की गति अधिक है तो यह निमोनिया का प्रारंभिक लक्षण है. दो महीने से कम उम्र के बच्चों के सांस की गति प्रति मिनट 60 से अधिक हो, दो साल तक के बच्चों की गति 50 से ज्यादा, इससे अधिक उम्र के बच्चों के सांस की गति 40 से अधिक हो तो यह निमोनिया हो सकता है. वहीं बच्चों का जीभ या नाखून नीला हो जाये तो यह गंभीर निमोनिया का लक्षण है. बच्चों को ऑक्सीजन चढ़ाने की जरूरत है. तत्काल डॉक्टर से मिले. अगर बच्चा दूध नहीं पीता हो, हर समय बच्चा सोये तो सतर्क हो जाये. घर पर इलाज शुरू नहीं करना है.

कैसे करें बचाव : जब मौसम बदल रहा हो तो बच्चों को बाहर नहीं निकालें. तेज हवा में बाइक पर लेकर घूमे नहीं. धूल व ठंडी हवा से बचायें. बच्चों को निमोनिया का टीका जरूर दिलाना चाहिये. इससे निमोनिया गंभीर नहीं होता है. छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाये. ज्यादा सांस फूलने पर ओआरएस का घोल पिलायें. प्रदूषण के कारण बच्चों में एलर्जिक ब्रोंकाइटिस होता है. इसका लक्षण निमोनिया से मिलता है. निमोनिया में फेफड़े में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होती है. वहीं इसके फैलने व सिकुड़ने की दर कम हो जाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें