बदलती जीवनशैली व खानपान की गड़बड़ी से असंतुलित हो रहा थायरॉयड हार्मोन

बदलती जीवनशैली व खानपान की गड़बड़ी से असंतुलित हो रहा थायरॉयड हार्मोन

By Prabhat Khabar News Desk | May 24, 2024 9:25 PM

विश्व थाॅयरायड दिवस : – गर्मी में थायरॉयड का बैलेंस बिगड़ता है, महिलाओं में यह समस्या ज्यादा है. प्रेगनेंसी में भी परेशानी होती है वरीय संवाददाता, भागलपुर बदलती जीवनशैली व खानपान की गड़बड़ी से लोगों के शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ रहा है. अब घर-घर में थायरॉयड हार्मोन के असंतुलन के मरीज मिल रहे हैं. इस समय देश की दो प्रतिशत आबादी में थॉयरायड हार्मोन असंतुलित हो गया है. मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में रोजाना आधा दर्जन नये मरीज मिल रहे हैं. मामले पर जेएलएनएमसीएच के मेडिसीन विभाग के प्राध्यापक डॉ हेमशंकर शर्मा ने बताया कि सरकारी व निजी अस्पतालों में जांच की सुविधा बढ़ने से थायरॉयड के मरीजों की पहचान हो रही है. शरीर में दो तरह से थायरॉयड का संतुलन बिगड़ रहा है. पहला हाइपो थायरॉयडिज्म की समस्या है. इसमें शरीर का फूलना, चमड़ा मोटा होना, आवाज भारी होना व बाल उड़ने लगते हैं. नियमित दवा के सेवन व डॉक्टरी सलाह से यह बीमारी कंट्रोल रहती है. दूसरा हाइपर थायरॉयडिज्म है. इसमें लोग का वजन घटता है, वहीं बीपी व सुगर बढ़ता है, हार्ट फेल की संभावना रहती है. हिमालय की तरायी वाले इलाके में लोगों में आयोडीन की कमी है. थायरॉयड की कमी से पहले घेघा से पीड़ित कई लोग दिखते थे. अब आयोडाइज्ड नमक के सेवन से यह समस्या कम हुई है. थायरॉयड के मरीजों को गोभी व कच्चा सरसों का सेवन नहीं करना चाहिये. पाचन की कमजोरी से थायरॉयड हार्मोन का असंतुलन : राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रूबी हेंब्रम ने बताया कि पाचन की कमजोरी से शरीर में वात संबंधी समस्या उत्पन्न होती है. इससे रक्त अशुद्ध होता है. इस कारण थायरॉयड समेत अन्य हार्मोन का बैलेंस बिगड़ता है. इसके लिए हमें सुपाच्य भोजन व शारीरिक श्रम में बढ़ोतरी करनी चाहिये. वहीं पाचन व गैस से जुड़ी आयुर्वेदिक दवा का सेवन करना चाहिये. वहीं होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ पीएन पांडेय बताते हैं कि आमलोगों में हाइपर व हाइपो थायरॉयडिज्म की समस्या बढ़ रही है. इसके जांच के बाद होमियोपैथिक दवा से थायरॉयड हार्मोन को संतुलित करते हैं. अधिकतर यह गर्मी में समस्या बढ़ती है. महिलाओं में यह समस्या ज्यादा है. प्रेगनेंसी में भी परेशानी होती है. शरीर में सूजन होने के बाद इसका ट्रीटमेंट शुरू होता है. होमियोपैथिक दवा का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है.

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