फाइलेरिया रोधी दवाओं को लेकर भ्रांतियों को दूर करने में सहयोग करें : सिविल सर्जन

10 फरवरी से घर-घर जाकर खिलाई जाएगी दवा

By Prabhat Khabar News Desk | February 8, 2025 9:54 PM

फाइलेरिया रोधी दवाओं के प्रति लोगों के मन में बैठी भ्रांतियों को दूर करने में मीडिया कर्मी सहयोग करें. यह अपील शनिवार को सिविल सर्जन डॉ अशोक प्रसाद ने सदर अस्पताल परिसर में आयोजित मीडिया कार्यशाला में कही. कहा कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान शुरू होगा. लोगों को एलबेंडाजोल और डीइसी की टेबलेट खिलायी जायेगी. इसे लेकर बताया गया कि खाली पेट दवाओं का सेवन नहीं करना है. स्कूलों में मध्याह्न भोजन के बाद ही दवा खिलायी जायेगी. साइड इफेक्ट को लेकर सिविल सर्जन ने कहा कि अगर शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद होंगे तो दवा खाने के बाद सिर दर्द, उल्टी, बुखार जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं. थोड़ी देर में यह खुद ही ठीक हो जाता है. इसमें बिल्कुल भी घबराने की आवश्यकता नहीं है. फाइलेरिया रोधी दवाओं के सेवन के बाद शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी मरते हैं. सभी लोग लगातार पांच वर्षों तक स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रत्येक वर्ष चलाए जाने वाले अभियान के दौरान दवा का सेवन करें, ताकि समाज को फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके. बताया कि इस वर्ष बेहतर मॉनिटरिंग के लिए पंचायत और ब्लॉक लेवल पर टू लेयर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है. इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दीनानाथ, डेवलमेंट पार्टनर पिरामल स्वास्थ्य और सिफार के जिलास्तरीय प्रतिनिधि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

दो वर्ष से छोटे बच्चे, बीमार व गर्भवती नहीं खायेंगे दवा

डॉ दीनानाथ ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सरकार के द्वारा वर्ष 2027 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लोगों को 14 दिनों तक घर-घर जाकर और उसके बाद तीन दिनों तक स्कूलों सहित अन्य स्थानों पर बूथ लगाकर फाइलेरिया रोधी दवा खिलायी जायेगी. इस दौरान दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती और गंभीर रूप बीमार लोगों को दवा नहीं खिलायी जायेगी. अभियान की सफलता के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति की पूर्ण सहभागिता आवश्यक है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए शिक्षा विभाग, जीविका, आईसीडीएस, पंचायती राज, खाद्य एवं आपूर्ति, महादलित विकास मिशन सहित कई विभाग और गैर सरकारी संस्थानों से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों से भी मदद मांगी गयी है.

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