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भागलपुर में कहीं जमीन पर दरी बिछाकर, कहीं जर्जर झोपड़ियों में चल रहे स्वास्थ्य उपकेंद्र

भागलपुर जिले के गांव व पंचायतों में चिकित्सा सुविधा के लिए 386 उपकेंद्र हैं. लेकिन महज 10 प्रतिशत केंद्र ही व्यवस्थित हैं. अन्य केंद्रों का हाल बुरा है. कहीं जमीन पर दरी बिछाकर तो कहीं जर्जर झोपड़ी में स्वास्थ्य उपकेंद्र चल रहे हैं. भागलपुर के इन स्वास्थ्य केंद्रों के हाल पर पढ़िए भागलपुर से गौतम वेदपाणि की रिपोर्ट...

Health Department: भागलपुर जिले के गांव-पंचायतों में रह रहे लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए जिला के 386 स्वास्थ्य उपकेंद्रों या हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर चल रहे हैं. इनमें से अधिकांश उपकेंद्रों के पास अपना भवन व परिसर नहीं है. इनका संचालन पंचायतों के आंगनबाड़ी केंद्रों, पंचायत भवनों, रंगमंच, सरकारी स्कूलों व किराये के भवनों में किया जा रहा है. कुर्सी टेबुल उपलब्ध नहीं होने के कारण कई जगह जमीन पर दरी बिछाकर स्वास्थ्य केंद्र चलाया जा रहा है.

किराये और बिजली बिल के नाम पर 600 रुपए का भुगतान

उपकेंद्रों के संचालन के लिए हर माह किराये और बिजली बिल के नाम पर स्वास्थ्य विभाग 600 रुपये का भुगतान करती है. किराया साल में एक बार दिया जाता है. कई जगह पर किरायेदारों ने उपकेंद्र को हटाने का अल्टीमेटम दे दिया है. इनमें माधवपुर नवगछिया में स्वास्थ्य उपकेंद्र एक दुकान में चल रहा है. किराया नहीं मिलने पर उपकेंद्र को हटाने को कहा जा रहा है.

स्कूलों से केंद्र हटाने का पत्र जारी

कई स्कूलों से भी केंद्र को हटाने का पत्र जारी किया है. इस्माइलपुर के इस्ट व वेस्ट केंद्र को स्कूल से हटाने को कहा जा रहा है. इस प्रखंड में नौ उपकेंद्र हैं, किसी के पास अपना भवन नहीं है. मजबूरीवश उपकेंद्रों को पंचायत में कभी पेड़ के नीचे, कभी स्थानीय लोगों के दरवाजे पर चलाया जा रहा है. खरीक के नवादा खैरपुर स्थित उपकेंद्र को रंगमंच में चलाया जा रहा है.

एक सीएचओ पर दो से तीन उपकेंद्र की जिम्मेदारी

स्वास्थ्य उपकेंद्रों के संचालन के लिए यहां सीएचओ व एएनएम की नियुक्ति की गयी है. सीएचओ व एएनएम का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के गाइडलाइन के अनुसार तीन से पांच हजार की आबादी पर एक उपकेंद्र रहना चाहिए. जबकि भागलपुर जिले में आठ से 15 हजार की आबादी पर उपकेंद्र चल रहे हैं. तीन साल पहले केंद्र के संचालन के लिए बीएससी नर्सिंग डिग्रीधारक 120 सीएचओ की नियुक्ति हुई थी.

संसाधन के अभाव में कई जॉब छोड़कर चले गये, फिलहाल 108 बचे हैं. एक सीएचओ पर दो से तीन उपकेंद्र के संचालन की जिम्मेदारी है. सरकार ने अब ऑनलाइन फेस अटेंडेंस का नियम बनाया है. इससे सीएचओ व एएनएम आर के पद पर कार्यरत आक्रोशित होकर हड़ताल पर चले गये हैं.

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30 उपकेंद्र बन रहे, 47 को मिली है स्वीकृति

स्वास्थ्य उपकेंद्रों की अव्यवस्था को लेकर जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम मणिभूषण झा बताते हैं कि सरकार की ओर से उपकेंद्रों को सुदृढ करने की तैयारी जारी है. इस समय जिले में 30 उपकेंद्रों का निर्माण चल रहा है. वहीं 47 उपकेंद्रों के निर्माण की स्वीकृति मिल गयी है. धीरे-धीरे सभी उपकेंद्रों के पास अपना भवन होगा.

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