इस दुर्गा मंदिर में साल में चार बार मनाया जाता है नवरात्र

इस दुर्गा मंदिर में साल में चार बार मनाया जाता है नवरात्र

By Prabhat Khabar News Desk | October 9, 2024 9:15 PM

– शहर के इन पांच मंदिरों में स्थापित हैं मां दुर्गा की स्थाई प्रतिमाएं

गौतम वेदपाणि, भागलपुर

भागलपुर शहरी क्षेत्र में इस बार मां दुर्गा की 68 अस्थाई प्रतिमाओं की स्थापना कर वैदिक विधि-विधान से पूजा-पाठ किया जा रहा है. शहर के कई मंदिर ऐसे हैं, जहां माता की स्थाई प्रतिमा हैं, जो वर्षों पहले स्थापित की गयी है. इन मंदिरों में पूजा करनेवाले श्रद्धालुओं को विश्वास है कि यहां स्थापित मां दुर्गा भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं. इनमें मुंदीचक में जन संस्कृति संघ दुर्गा मंदिर में साल में होने वाले सभी चार नवरात्र का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा शहर के कई मंदिरों में मां दुर्गा की स्थाई प्रतिमाएं स्थापित है. इन मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाता है.

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मुंदीचक में 1997 में हुई थी प्रतिमा स्थापित

मुंदीचक स्थित जन संस्कृति संघ दुर्गा मंदिर में हर वर्ष चैत, आषाढ़, आश्विन और माघ में नवरात्र का अनुष्ठान होता है. पुजारी श्रवण झा ने बताया, यहां सालों भर मां दुर्गा के अष्टभुजी विग्रह रूप की आराधना होती है. सदस्य राकेश कुमार साह ने बताया कि यहां प्राचीन समय से मां दुर्गा की पूजा होती है. 1997 में यहां पत्थर की प्रतिमा स्थापित की गयी.

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तिलकामांझी चौक पर 53 साल पहले बना मंदिर

तिलकामांझी चौक पर 53 वर्ष पूर्व 1971 में बने मंदिर में भी मां दुर्गा की स्थाई प्रतिमा स्थापित है. चैत महीने में वासंतिक नवरात्र में इस मंदिर में अस्थाई प्रतिमा भी स्थापित की जाती है. पुजारी आनंद झा ने बताया कि अभी कलश स्थापित कर माता की स्थाई प्रतिमा की पूजा की जा रही है.

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पीपल के पेड़ के नीचे सजा है मां वैष्णो का दरबार

मुंदीचक स्थित जीसी बनर्जी लेन में श्री वैष्णो देवी दरबार मंदिर पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित है. यहां मां दुर्गा की स्थाई प्रतिमा स्थापित है. पुजारी मधुकांत राय व सरोज कुमार राय ने बताया कि मंदिर के बीचों बीच एक पुराना पीपल का पेड़ है. संगमरमर से बने इस भव्य मंदिर की स्थापना स्व विजय नारायण सिंह ने 2001 में की थी.

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द्वापर युग में मां चंडिका के विग्रह रूप की हुई थी स्थापना

शहर के गंगातट पर स्थित बूढानाथ मंदिर परिसर में मां चंडी स्थान है. मान्यता है कि मुंगेर की शक्तिपीठ चंडिका स्थान के अंश को द्वापर युग में दानवीर कर्ण ने स्थापित किया था. कहा जाता है कि शालीग्रामी शिला से बनी यह मूर्ति गंगा नदी से प्रकट हुई थी.

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बूढ़ानाथ मंदिर के बाहर भी है दुर्गा मंदिर

बूढ़ानाथ मंदिर के बाहर श्री चैती दुर्गा मंदिर की स्थापना संत बिरण दास ने की थी. यहां भी स्थाई प्रतिमा स्थापित है. इस मंदिर के पुजारी श्याम सुंदर मालाकार हैं. इस मंदिर में भी श्रद्धालु सालों भर आते रहते हैं और माता की पूजा-अर्चना करते हैं.

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