वन विभाग व बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की टीम ने शनिवार को विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी में भागलपुर से कहलगांव तक एशियाई वाटरबर्ड सेंसस के तहत प्री-काउंट और अध्ययन किया. यह गणना भागलपुर के बरारी घाट से शुरू होकर कहलगांव तक लगभग 30 किलोमीटर के दायरे में की गयी. टीम को पक्षियों की कम संख्या दिखी. दल में शामिल वन प्रमंडल पदाधिकारी श्वेता कुमारी ने बताया कि प्रवासी पक्षियों में बार हेडेड गूज या राजहंस, गडवाल डक, लेसर विसलिंग डक या छोटी सिल्ही, रूडी शेल्डक, टुफ्टेड डक, ओस्प्रे या मछलीमार, पेरेग्रीन फालकॉन, शिकरा, ब्लैक काइट, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब समेत अन्य पक्षी दिखे. पशु चिकित्सक डॉ संजीत कुमार ने बताया कि इस प्री काउंट में 20 से भी ज्यादा राजहंस दिखे. ये पक्षी प्रति वर्ष मंगोलिया से भारत आते हैं. इस टीम में पक्षी विशेषज्ञ राहुल रोहिताश्व, रिसर्च स्कॉलर जय कुमार जय, बर्डर चंदन कुमार, आनंद कुमार, फाॅरेस्ट गार्ड अमर कुमार, अलोक राज, योगेंद्र महलदार, नागो महलदार, विष्णु महलदार एवं वन्य विभाग के कई सदस्य शामिल थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है