भागलपुर के परवत्ती मोहल्ले में महिला से दुष्कर्म का आरोपित कन्हैया यादव ने पुलिस को चकमा देते हुए एसीजेएम आरके रैना की कोर्ट में गुरुवार को करीब दिन के 11 बजे सरेंडर कर दिया. जबकि पुलिस कोर्ट में जाने से पहले कन्हैया को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही थी.
आरोपित को गिरफ्तार करने पुलिस कोर्ट के मुख्य बिल्डिंग में सादे लिवास में घूम रही थी. लेकिन कन्हैया ने चकमा देते हुए मुख्य बिल्डिंग के कोर्ट में नहीं जाकर एसीजेएम आरके रैना की कोर्ट में पहुंच गया. बताया जा रहा है कि अपने दोस्त के साथ मोटरसाइकिल से वकील का कपड़ा पहन रखा था. मुंह पर मास्क लगाया हुआ था. ऐसे में कन्हैया की पहचान नहीं हो पा रही थी. सरेंडर की सूचना मिलने पर पुलिस हाथ मलती रही गयी.
कोर्ट ने आरोपित को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया. दूसरी तरफ मामले के दूसरे अरोपित सावन यादव अब भी फरार चल रहा है. गुरुवार को तातारपुर व विवि थाना की पुलिस दलबल के साथ परवत्ती पहुंची. पूरे मोहल्ला में ढोल बज्जाकर सावन यादव के घर पर इश्तेहार चिपकाया.
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विवि थाना क्षेत्र के परबत्ती मोहल्ले में विगत शनिवार रात हुए महिला से दुष्कर्म मामले में कन्हैया यादव ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. लेकिन पीड़िता व उसके परिवार के लोग सहमे हुए हैं. परिवार वालों का कहना है कि कन्हैया भले ही जेल चला गया है, पर उसके साथी और अन्य परिवार के लोग अब भी उनपर लगातार दबाव बना रहे हैं.
कन्हैया यादव के आत्मसमर्पण के बाद प्रभात खबर टीम गुरुवार को पीड़िता के घर पर पहुंची. जहां एक तरफ परिवार वालों के बीच इस बात की संतुष्टी थी कि कन्हैया यादव ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और उसके बाद उसे जेल भेज दिया गया. वहीं दूसरी तरफ उन्हें इस बात का भी डर है कि घटना में शामिल कन्हैया का साथी सावन यादव अब भी फरार है. वहीं कन्हैया के परिवार के लोग विभिन्न माध्यमों से लगातार उन पर केस उठाने का दबाव बना रहे हैं.
पीड़िता के पति ने बताया कि गुरुवार सुबह उनके कुछ रिश्तेदारों ने बताया कि बुधवार रात दो युवक उनकी घर की ओर गली में कई बार आये और वापस लौट गये. इससे पहले भी कई दिनों तक उनकी घर की रेकी करायी जा रही है. उन्होंने पुलिस से उनके घर और परिवार की सुरक्षा का इंतजाम करने की गुहार लगायी.
उन्होंने बताया कि वह मरते दम तक इंसाफ के लिये लड़ाई लड़ेंगे. पीड़िता ने बताया कि जब तक कन्हैया को कठोर सजा नहीं हो जाती, तब तक वह इंसाफ के लिये लड़ती रहेगी. चाहे उन्हें जहां तक भी जाना पड़ जाये.