Bhagalpur: शहर में सड़कों पर उड़ रही बेशुमार धूल व जाम में फंसे वाहनों के धुंए से शहर का प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. शनिवार सुबह 10.30 बजे और दोपहर बाद 3.30 बजे हवा की गुणवत्ता सामान्य से 15.2 गुना खराब थी. शहर का अधिकतम वायु प्रदूषण स्तर 308 एक्यूआइ यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स रहा. यह आंकड़ा राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) ने ऑनलाइन जारी किया है.
सूचकांक के अनुसार, प्रदूषण के इस स्तर पर फेफड़े, दिल और दमे से पीड़ित लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. लंबे समय तक खराब हवा में रहने से स्वस्थ लोगों को सांस की बीमारियां हो सकती हैं. भागलपुर शहर का सबसे प्रदूषित इलाका बरारी क्षेत्र रहा. हाउसिंग कॉलोनी में धूल भरी सड़क, विक्रमशिला सेतु पर वाहनों से निकलते धुएं व बरारी इंडस्ट्रियल एरिया समेत श्मशान घाट के कारण ऐसी स्थिति बनी.
वहीं, शहर का दूसरा सबसे प्रदूषित इलाका कचहरी चौक रहा. कचहरी चौक पर चारों ओर से आ रहे हजारों वाहन व सैंडिस कंपाउंड में कई जगह खुदाई से उड़ती धूल वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बनी. हवा में 10 माइक्रोमीटर व्यास (PM10) के धूल उड़ रहे है. यह आंखों में जलन व सांस लेने में तकलीफ देती है.
जब एयर क्वलिटी इंडेक्स 51 से 100 के बीच रहता है, तो संतोषजनक श्रेणी है. 101 से 200 के बीच मध्यम श्रेणी में, वहीं हवा की क्वालिटी 201 से 300 के बीच रहती तो खराब श्रेणी में है. 301 से 400 के बीच बेहद खराब श्रेणी में और 401 से 500 के बीच इंडेक्स गंभीर श्रेणी में माना जाता है.
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो शहर का वायु प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजह धूल और धुंआ है. इस समय शहर के विभिन्न सड़कों पर पाइप बिछाने और नाला निर्माण का काम चल रहा है. हर जगह टूटी सड़क से निकली मिट्टी सड़कों पर फैल गयी है. वहीं, 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चली हवा ने स्थिति और बिगाड़ दी. हवा में उड़ रही धूल के कारण लोगों का रास्ते पर चलता मुश्किल हो रहा है.
लोगों के घरों में भी धूल की मोटी परत जम रही है. लोग इस धूल से परेशान होकर दिनभर पाइप से पानी पटाते नजर आ रहे हैं. बरारी स्थित हाउसिंग कॉलोनी में शनिवार को ऐसा ही दिखा. यहां पर बिछ रही पानी के बड़े पाइप को लेकर गड्ढा खोदा गया है. पाइप बिछाने के बाद अब तक यहां सड़क नहीं बनी है. इस कारण मार्ग पर एक फीट धूल की मोटी परत जमी हुई है. इस होकर गुजरने वाले डीएवी पब्लिक स्कूल, बरारी बीएड कॉलेज समेत अन्य शैक्षणिक संस्थान के हजारों छात्र व उनके अभिभावक धूल होकर रोजाना गुजर रहे हैं. अभिभावक राजन कुमार ने बताया कि यही स्थिति रही तो बच्चे दमा जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जायेंगे. कई अभिभावकों ने शिकायत कि बीते एक माह के अंदर बच्चे कई बार एलर्जी की चपेट में आये.