कड़ाके की ठंड के बगैर इस बार पूस व माघ का महीना बीत गया. फागुन की शुरुआत के साथ ही आसमान में बैसाख महीने जैसी धूप चमक रही है. बीते वर्षों की तुलना में इस बार जनवरी व फरवरी में भी कम ठंडक पड़ी. फरवरी के पहले सप्ताह में ही मार्च जैसी गर्मी व धूप का असर दिखने लगा है. मौसम वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि पहाड़ों पर बर्फबारी कम होने से पछिया हवा का तापमान बढ़ रहा है. मौसम का यह बदलाव रबी फसल के लिए उपयुक्त नहीं है. जलवायु परिवर्तन के असर है जहां लोगों को हीटवेव से परेशानी होगी, वहीं फसल की उपज पर भी विपरित असर पड़ेगा. फरवरी महीना आधा बीतने के बाद दिन व रात के तापमान में काफी अंतर है. रात में हल्की ठंडक व दिन में तेज धूप से दो तरह के मौसम में लोगों की इम्यूनिटी कम हो रही है. इस कारण बैक्टिरिया व वायरस के प्रसार से मौसमी बीमारियां अब तेजी से पनपेगी. इधर, गुरुवार को जिले का अधिकतम तापमान 26 डिग्री व न्यूनतम तापमान नौ डिग्री रहा. 5.2 किमी/घंटा की गति से शुष्क पछिया हवा चलती रही.
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