Bhagalpur Zone: (दीपक राव) : बिहार कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से भागलपुरी कतरनी उत्पादक संघ की ओर से भागलपुर प्रक्षेत्र अंतर्गत भागलपुर, बांका और मुंगेर जिले में कतरनी की खेती दुगुने रकबे में करने की तैयारी है. इसे लेकर किसानों को जागरूक किया गया है. इतना ही नहीं, जैविक तरीके से हुई कतरनी की खेती ने कतरनी की खुशबू को और बढ़ा दिया. कतरनी चूड़ा और चावल की मांग बढ़ने के साथ कीमत भी मुंहमांगी मिल रही है. इससे किसानों का उत्साह देखते ही बन रहा है. पहले जहां प्रक्षेत्र में 800 हेक्टेयर में कतरनी की खेती होती थी, अब 1600 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर कतरनी धान की खेती को तैयार हैं.
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कृषि वैज्ञानिक मंकेश कुमार ने बताया कि कतरनी की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों की परेशानी को कम करने के लिए शोध जारी है. मौसम में सुधार होने के साथ-साथ जैविक तरीके से खेती को बढ़ावा मिला है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय और भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ की देखरेख में जिले के जगदीशपुर, सन्हौला, शाहकुंड व सुल्तानगंज प्रखंड में केवल 300 हेक्टेयर भूमि में कतरनी की खेती की गयी थी. पिछले साल से इस बार दो क्विंटल अधिक उपज हुई. पिछले साल जहां एक हेक्टेयर में 28 क्विंटल कतरनी धान की उपज हुई थी, इस बार 30 से 32 क्विंटल हुई.
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बिहार कृषि विश्वविद्यालय के पौधा प्रजनन विभाग के कनीय वैज्ञानिक मंकेश कुमार ने बताया कि अभी मुंगेर, बांका और भागलपुर में 800 हेक्टेयर में कतरनी की खेती हो रही है, इसका दुगुना करने की तैयारी पहले से थी, जिसे किसानों ने स्वीकार कर लिया. मुंगेर में अभी 100 हेक्टेयर में, बांका के अमरपुर, रजौन, बाराहाट व बौंसी में 300 हेक्टेयर की खेती हो रही है. भागलपुर के जगदीशपुर, सुल्तानगंज, शाहकुंड, सन्हौला में केवल 300 हेक्टेयर में कतरनी की खेती होती है. मुंगेर में 200, बांका में 600 , जबकि भागलपुर में 800 से1000 हेक्टेयर तक रकबा बढ़ाने की तैयारी है.
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जगदीशपुर के कतरनी उत्पादक किसान राजशेखर ने बताया कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक फसल की राह में आयी मुश्किलों को दूर कर विस्तार देने का निर्णय लिया है. योजना के मुताबिक कतरनी का रकबा दोगुना किया जा रहा है. अब 800 हेक्टेयर से बढ़कर 1600 हेक्टेयर खेतों में लहलहाने लगेगी. व्यावसायिक खेती बनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसमें कतरनी के प्रगतिशील किसान भरपूर सहयोग कर रहे हैं.
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