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भागलपुरी कतरनी धान उत्पादक संघ को मिलेगा एपीओ का दर्जा

देश में भागलपुरी कतरनी की धूम मच रही है. जीआइ टैग मिलने के बाद विदेशों में मांग बढ़ गयी है. कतरनी उत्पादन का मूल स्थान जगदीशपुर है. चिंता की बात है कि अब जगदीशपुर में ही उत्पादन क्षेत्र सिमट रहा है.

देश में भागलपुरी कतरनी की धूम मच रही है. जीआइ टैग मिलने के बाद विदेशों में मांग बढ़ गयी है. कतरनी उत्पादन का मूल स्थान जगदीशपुर है. चिंता की बात है कि अब जगदीशपुर में ही उत्पादन क्षेत्र सिमट रहा है. भागलपुरी कतरनी धान उत्पादक संघ को एपीओ का दर्जा मिलेगा. एपीओ अर्थात कृषक उत्पादक संघ, जिसके माध्यम से कतरनी उत्पादक किसानों के बीच जागरूकता कार्यक्रम होगा. यह दर्जा मिलने रकबा बढ़ाने, उत्पादन बढ़ाने से लेकर बाजार की सुविधा हाेगी. यह घोषणा बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के प्रसार-शिक्षा निदेशक डॉ आरके सोहाने ने जगदीशपुर-देशरी में कतरनी उत्पादक किसानों के बीच की.

100 किसानों के बीच नि:शुल्क बांटा गया कतरनी धान का बीज

इस दौरान कतरनी की वास्तविकता को बचाने के लिए किसानों के बीच जागरूकता कार्यक्रम शुरू हुआ. जगदीशपुर स्थित कतरनी उत्पादक क्षेत्रों में प्लाटिंग होने से रकबा घटने के बाद एक बार फिर रकबा बढ़ाने के लिए चांदन नदी किनारे कतरनी की खेती को बढ़ाने पर जोर दिया गया. फिर 100 किसानों के बीच नि:शुल्क वास्तविक कतरनी धान का बीज बांटा गया. कनीय वैज्ञानिक डॉ मंकेश कुमार ने कहा कि कतरनी की खुशबू विलुप्त नहीं हो, इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन किसानों के साथ मिलकर लगातार प्रयासरत है. इसी कड़ी में कतरनी में मिलावट को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया गया है. मिलावट रुकने के बाद ही देश-विदेश में भागलपुरी कतरनी की मांग बढ़ेगी. नहीं तो मुनाफा कमाने के चक्कर में वास्तविक कतरनी को भी मूल्य नहीं मिल पायेगा.

राष्ट्रपति सम्मान से किसानों में बढ़ा रुझान

भागलपुरी कतरनी धान उत्पादक संघ, जगदीशपुर के प्रगतिशील किसान राजशेखर ने बताया कि कतरनी को बढ़ावा देने के लिए कतरनी बीज वितरण कार्यक्रम को समारोहपूर्वक किया गया, ताकि किसानों को कतरनी के महत्व का पता चल सके. संघ बनने के बाद कतरनी की खुशबू बढ़ी है, जो देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक जा रही है. यही कारण है कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की ओर से जगदीशपुर की किसान खुशबू एवं मुंगेर के किसान सुबोध चौधरी को सम्मानित किया गया. इस दौरान 10 लाख रुपये नगद राशि भी मिली. इससे किसानों के बीच कतरनी की खेती के प्रति रुझान बढ़ा है. किसानों को जागरूक करने में कृषि विश्वविद्यालय के शोध निदेशक डॉ एएन सिंह ने किसानों को जागरूक किया.

किसानों ने उठायी चांदन नदी में चैक डेम बनाने की मांग

उत्पादक संघ के सचिव राजकुमार पंजियारा, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध महतो, सखीचंद विश्वास, राजशेखर, दीपक कुमार, प्रवीण कुमार, आनंदी सिंह, खुशबू, मुखिया घनश्याम मंडल, परमेश्वर मंडल आदि किसानों ने जिला प्रशासन व विश्वविद्यालय प्रशासन से चांदन नदी में चैक डेम बनाने की मांग की, ताकि बालू उठाव के बाद नदी की गहराई के बाद सिंचाई में दिक्कत नहीं हो. इसके बाद ही कतरनी की खेती को बढ़ावा मिलेगा.

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