महर्षि मेंहीं परमहंस का परिनिर्वाण दिवस शुक्रवार को है. इसे लेकर पूर्व संध्या पर कुप्पाघाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में भंडारा का आयोजन हुआ. कार्यक्रम का संचालन रमेश बाबा एवं रवींद्र बाबा ने किया. भंडारा में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया. इस मौके पर पंकज बाबा, मंत्री मनु भास्कर, अमित कुमार आदि उपस्थित थे.शुक्रवार को परिनिर्वाण दिवस पर विविध आयोजन पुष्पांजलि, भंडारा, सत्संग-प्रवचन का आयोजन होगा. इसे लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. आश्रम में देशभर के श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है.कबीर के दोहे का पाठ करते हुए ली थी अंतिम सांस
संजय बाबा ने बताया कि 101 वर्ष तक इस धरा धाम पर जीवित रहने वाले संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस का परिनिर्वाण दिवस कुप्पाघाट भागलपुर में मनाया जायेगा. 8 जून 1986 रविवार को महर्षि मेंहीं परमहंस ने अपना पार्थिव शरीर का त्याग किया था. शरीर छोड़ने के दिन महर्षि मेंहीं परमहंस ने गुरुसेवी भगीरथ दास जी महाराज के हाथों से मूंग की घुघनी ग्रहण किया था. अंतिम समय में महर्षि मेंहीं परमहंस ने कहा था -सुकिरत कर ले नाम सुमिर ले को जानै कल की जगत में खबर नहीं पल की. कबीर साहब की इन वचनों को बोलते हुए अंतिम सांस लिए. 28 अप्रैल 1885 मंगलवार को महर्षि मेहीं परमहंस का जन्म नाना के घर मधेपुरा स्थित खोखशी श्याम गांव में हुआ था.धूमधाम से हुई भगवान शनि कर पूजा, सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरित
एसडीओ कार्यालय के समीप सीसी मुखर्जी रोड स्थित शनि मंदिर में भगवान शनि की जयंती पर गुरुवार को पूजन-उत्सव मनाया गया. स्थानीय कलाकारों ने एक से एक भजन प्रस्तुत किये. इस दौरान भंडारे का भी आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच पूड़ी-सब्जी-बुंदिया आदि का प्रसाद विरित किया गया. वहीं, एमपी द्विवेदी रोड स्थित प्राचीन शनि मंदिर में महंत परमेश्वरानंद उर्फ काला बाबा के संचालन में पूजन हुआ. यहां श्रद्धालुओं ने तील, काला रसगुल्ला आदि चढ़ाया. इस दौरान दीपोत्सव का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में प्रधान सेवक प्रकाश शर्मा का विशेष योगदान रहा.
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