बीएयू के कुलपति ने किया नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा, जानें शैक्षणिक सहयोग को लेकर क्या हुई बात
बिहार कृषि विश्वविद्यालय का लक्ष्य संकाय आदान-प्रदान और आगामी समझौता ज्ञापन के द्वारा सुगम छात्र गतिशीलता कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी शैक्षिक पेशकश को बढ़ाना है.
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने गुरुवार को नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा का दौरा किया और वहां के अंतरिम कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह से औपचारिक मुलाकात की. पर्यावरणीय उपलब्धियों के अलावा चर्चा में दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग में आपसी हितों पर जोर दिया गया. दोनों विश्वविद्यालयों का लक्ष्य संकाय आदान-प्रदान और आगामी समझौता ज्ञापन के द्वारा सुगम छात्र गतिशीलता कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी शैक्षिक पेशकश को बढ़ाना है. यह साझेदारी ज्ञान और विचारों के गतिशील आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी. बीएयू और नालंदा विश्वविद्यालय के बीच सहयोग उच्च शिक्षा में अकादमिक उत्कृष्टता, स्थिरता और नवाचार के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो भविष्य में प्रगति और समाज में सार्थक योगदान का मार्ग प्रशस्त करेगा. मौके पर दोनों विश्वविद्यालय के पदाधिकारी गण मौजूद थे.
कमेटी ने रजिस्ट्रार मामले में वीसी को बंद लिफाफा में सौंपी रिपोर्ट
टीएमबीयू के कुलपति प्रो जवाहर लाल ने फाइल लंबित रखने सहित 15 गंभीर बिंदुओं पर आरोप लगाया था. मामले में विवि की हाई लेवल टीम ने गुरुवार को वीसी को बंद लिफाफा में रिपोर्ट सौंप दी है. बताया जा रहा है कि रजिस्ट्रार ने निर्धारित तिथि के दो दिन बाद अपना लिखित पक्ष कमेटी के समक्ष रखा था. सूत्रों के अनुसार रजिस्ट्रार ने लगाये आरोप को लेकर लिखित जवाब कमेटी को सौंपा है. उनका जवाब संतोषप्रद नहीं बताया गया है. बिंदुवार उनका जवाब भी गलत बताया गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हो सकती है.
विवि से निर्धारित वेतन के अनुसार ही किया जाये भुगतान
टीएमबीयू के वैधानिक समिति से निर्धारित किये गये वेतन के अनुसार ही भुगतान करने की मांग की है. इसे लेकर एसएम कॉलेज कर्मचारी महासंघ इकाई का एक शिष्टमंडल गुरुवार को रजिस्ट्रार से मुलाकात की. संघ के सचिव कानन राजू ने कहा कि वेतन सत्यापन कोषांग से वेतन निर्धारण पूर्जी प्राप्त हुआ है. सभी कर्मचारियों का एक इंक्रीमेंट से लेकर छह हजार रुपये से अधिक राशि वेतन से कटौती कर दी गयी है. ऐसे में कर्मचारियों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक सेवा देने के बाद भी वेतन सत्यापन कोषांग से वेतन में कटौती कर देना कहीं से उचित नहीं है.