कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर ने सबको परेशानी में डाल दिया है. तीसरी लहर की भी चेतावनी जानकारों ने दे दी है. इसको लेकर सरकारी तौर पर व्यवस्था करने में सब जुटे हैं. रोज तरह-तरह के दावे और घोषणाएं हो रही हैं. वैक्सीनेशन जान बचाने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम बना है. इसलिए सब लगे हैं कि जल्द से जल्द सबको टीका लग जाये. जिलाधिकारी खुद भी प्रखंडों के सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं. पर वस्तुस्थिति क्या है, निर्देशों का कितना पालन किया जा रहा है, इसकी पड़ताल प्रभात खबर के मिहिर व विद्यासागर ने की.
इस क्रम में उन लोगों ने दियारा में चल रहे स्वास्थ्य उपकेंद्र गोसाईंदासपुर तो निगम क्षेत्र में कार्यरत बुधिया पीएचसी का निरीक्षण किया. इस दौरान जो जानकारी मिली, उससे यही लगा कि यहां की व्यवस्था को ही वैक्सीन की जरूरत है. गोसाईंदासपुर पंचायत की आबादी 10 हजार है. यहां एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है. कोरोना को लेकर सजगता के नाते रविवार को भी इस केंद्र को खोलना है. ओपीडी चलाना है, पर जब टीम पहुंची तो यहां कोई नहीं था. ताश खेलनेवाले कुछ लोग जरूर जमे हुए थे.
तीन कमरे के स्वास्थ्य उपकेंद्र की छत जर्जर है. इसमे से दो कमरे का दरवाजा ताले के साथ टूट चुका है. इस कारण इनमें से एक में एक स्थानीय व्यक्ति ने अपना स्थायी निवास बना लिया है, तो दूसरे कमरे में पशु रहते हैं. तीसरे कमरे तो कुछ दवा है. कहने के लिए यहां बिजली का कनेक्शन है, लेकिन तार पोल से जुड़ा नहीं है. इस केंद्र को लेकर सरकारी दावा था कि इसे बेहतर बनाया जायेगा, पर अबतक यह खंडहर है.
Also Read: ठगों के काम आ रहे बिहार में महिलाओं के बैंक खाते, कोरोनाकाल में हो रहा करोड़ों का ट्रांजेक्शन, जानिए कैसे हुआ खुलासाग्रामीणों के अनुसार इस केंद्र पर महीने में एकाध बार एएनएम आती हैं. किसी को कोई टीका देना हुआ तो देती हैं फिर चली जाती हैं. हालांकि सरकारी कागज पर यहां टीकाकरण का दिन बुधवार और शुक्रवार तय है. इसके लिए दो नर्सों की भी तैनाती है. ग्रामीणों के अनुसार कमरे में रखी दवा किस चीज की है और किस हाल में है इसकी जानकारी उनको नहीं है. विभाग ने इस उपकेद्र को बेहतर बनाने का दावा किया था जो दो साल के बाद भी पूरा नहीं हो सका.
कोरोना वैक्सीन के लिए वाहन भेजा जा रहा है. अगर उपकेंद्र बेहतर हालत में होता, तो यहां ही हम लोग टीका ले लेते. यहां नर्स की नियुक्ति है, लेकिन वे कब आती हैं पता नहीं.
प्रमोद पासवान
अगर कोई बीमार हुआ, तो सात किलोमीटर दूर रेफरल अस्पताल या 25 किलोमीटर दूर मायागंज अस्पताल जाते हैं.
देवानंद यादव
रविवार को जब प्रभात खबर की टीम यहां पहुंची तो पहले तो जैन मंदिर के पास स्थित इस बुधिया पीएचसी में पहुंचना ही कठिन लगा. यहां आने का रास्ता बेहद खराब है. सड़क पर बह रहे नाले की गंदगी, गंदा पानी व कीचड़ से बच कर आना ही चुनौती है. कुछ लोग टीका लेने के लिए आये थे पर नर्स हीं नहीं थीं. इस कारण उन्हें इंतजार करना पड़ा. कायाकल्प योजना के तहत इस सेंटर को सम्मान भी मिल चुका है, पर सुविधा की कमी की मार यह झेल रहा है. यहां बोर्ड पर 105 तरह की दवा का लिस्ट, लेकिन 10 से 12 तरह की दवा ही उपलब्ध है. पहले यहां रोजाना पचास से सौ मरीज इलाज कराने आते थे. अब संख्या गिनने लायक नहीं है.
यहां पांच नर्स और एक आयुष चिकित्सक की तैनाती है. आयुष चिकित्सक एलोपैथी से इलाज करते हैं. यहां तैनात पांच नर्सों में दो को वैक्सीनेशन व तीन को कोरोना पॉजिटिव मरीजों के घर जाकर बुखार और ऑक्सीजन का लेबल जांचने में लगाया गया है. इस कारण यहां ओपीडी केवल आयुष चिकित्सक के हवाले है, पर वो भी वैक्सीनेशन में व्यस्त रहते हैं. इस कारण शायद ही मरीजों को ओपीडी का फायदा मिलता है.
इस सेंटर में सामान्य रूप से घायल मरीजों के इलाज की भी व्यवस्था की गयी थी. इसके लिए यहां एक ओटी टेबुल की भी व्यवस्था की गयी थी. पर पिछले 20 दिनों से यह टेबुल सुभाष चौक स्थित एक दुकान में रखा है. ओटी खाली है.
सेंटर के प्रभारी डॉ जयशंकर के अनुसार अभी उन लोगों का फोकस कोरोना वायरस को क्षेत्र से खत्म करने पर है. उन लोगों ने सुभाष चौक पर कोरोना जांच आरंभ किया था, बाद में वहां के कर्मी को दूसरी जगह ड्यूटी पर लगा दिया गया है. उनके यहां चतुर्थवर्गीय कर्मी नहीं हैं, इस कारण टेबुल वापस लाने में परेशानी हो रही है. यहां सेंटर पर सारी सुविधाएं दी जा रही हैं. बिहार में तबेला व ताश का अड्डा बना हुआ है अस्पताल तथा Hindi News से अपडेट के लिए बने रहें।
पीएचसी और स्वास्थ्य केंद्र में क्या समस्या है, इसके संबंध में जानकारी ली जायेगी. केंद्र में नर्स ड्यूटी करें, इसके लिए सख्त निर्देश दिया जायेगा. लापरवाही करनेवालों पर कठोर कार्रवाई होगी.
डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन, भागलपुर
POSTED BY: Thakur Shaktilochan